SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 258
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १९० ] तिलोयपगत्ती [ गाथा : ३२० अर्थ-पश्चात् प्रदेशोत्तर-क्रमसे तेरह-जीवोंको मध्यम अवगाहनाका विकल्प तब तक चलता रहता है, जब तक तदनन्तर अवगाहना प्रावलीके असंख्यातवें भागसे खण्डित एक भाग प्रमाण उसके ऊपर वृद्धिको प्राप्त न हो जाए। तब सूक्ष्म-पृथिवीकायिक(४०) निवृत्त्यपर्याप्तकको उत्कृष्ट अवगाहना दिखती है ।। तदो' पदेसुत्सर-कमेण बारसण्ह जीवाणं मज्झिमोगाहण-वियप्पं बच्चदि तदणंतरोगाहणा प्रावलियाए असंखेज्जदि-भागेण खडिय तत्थंग-भागं तदुरि वड्ढिवो प्ति । तदो सुहुभ-पुढदि-काइय-णिवत्ति-पज्जत्तयस्स उक्कस्सोगाहणं दोसइ । तदोवरि सुहुमपुढविकाइयस्स ओगाहण-वियप्पं णत्थि ।। अर्थ–पश्चात् प्रदेशोत्तर-क्रमसे बारह जीवोंको मध्यम अवगाहनाका विकल्प तदनन्तर अवगाहनाको आवलोके असंख्यात भागसे खण्डित करके उसमेंसे एक भाग प्रमाण उसके ऊपर वृद्धि होने तक चलता रहता है। तत्पश्चात् सूक्ष्म-पृथिवीकायिक(४१)-निवृत्तिपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना दिखती है । इसके आगे सूक्ष्म-पृथिवोकायिककी अवगाहनाका विकल्प नहीं है । तबो पवेसुत्तर-कमेण एषकारसहं जीवाणं मज्झिमोगाहण - वियप्पं वच्चदि तप्पासोग्ग-असंखेज्ज-पदेसं वढियो ति । तादे बादर-याउकाइय-णिवत्ति-अपज्जत्तयस्स जहणोगाहणं दोसइ ॥ अर्थ-पश्चात् प्रदेशोत्तर-क्रमसे ग्यारह जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प उसके योग्य असंख्यात-प्रदेशों की वृद्धि होने तक चलता रहता है । तब बादर-वायुकायिक(४२) निवृत्त्यपर्याप्तककी जघन्य अवगाहना दिखती है । तदो पदेसुत्तर-कमेण बारसण्हं जीवाणं मज्झिमोगाहण-वियप्पं बड्ढदि तप्पाश्रोग्ग-प्रसंखेज्ज-पदेसं वढिदो ति । सादे बावर-वाउकाइय-लद्धि-अपज्जत्तयस्स उक्कस्सोगाहणं दोसई ॥ अर्थ-पश्चात् प्रदेशोत्तर-क्रमसे बारह जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प उसके योग्य असंख्यात प्रदेशोंकी वृद्धि होने तक बढ़ता रहता है । उस समय बादर वायुकायिक(४३) लब्ध्यपर्याप्तक की उत्कृष्ट अवगाहना दिखती है ।। - - . १.द.ब. तदा।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy