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________________ गाथा : ३२० ] पंचमो महाहियारो [ १८९ अवगाहना होती है । इसने मात्र ही जलकायिक जीवोंकी अवगाहनाके विकल्प हैं, क्योंकि सर्वोत्कृष्ट अवगाहना प्राप्त हो चुकी है। ___ तदो पवेसुत्तर - कमेण बारसण्हं मज्झिमोगाहण-वियप्पं वच्चदि तप्पाओग्गअसंखेज्ज-पदेसं वढिदो त्ति । तादे सुहुम-पुढविकाइय-णिव्यत्ति-अपज्जत्तयस्स जहण्णोगाहणा दोसइ ।। अर्थ-तत्पश्चात् प्रदेशोत्तर-क्रमसे बारह-जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प उसके योग्य असंख्यात प्रदेशोंकी वृद्धि होने तक चालू रहता है। तब सूक्ष्मपृथिवीकायिक(३७)-निवृत्यपर्याप्तकको जघन्य अवगाहना दिखतो है ।। तवो पहदि पवेसुत्तर-कमेण तेरसण्हं मज्झिमोगाहण-वियप्पं बच्चदि तप्पाओग्गअसंखेज्ज-पदेसं वढिदो त्ति । तावे सुहम-पुढवि-लद्धि-अपज्जत्तयस्स उक्कस्सोगाहणा दीसह ॥ अर्थ- यहांसे आदि लेकर प्रदेशोत्तर-क्रमसे तेरह जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प उसके योग्य असंख्यात प्रदेशोंकी वृद्धि होने तक पता रहता है । तब सूक्ष्म-पृथिवोकायिक (३८)लब्ध्यपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना दिखती है ।। तदो' पदेसुत्तर - कमेण बारसहं जीवाणं मज्झिमोगाहण-वियप्पं वददि । केत्तियमेत्तण ? सुहम-आउकाइय-णिवत्ति-पज्जत्तयस्स उक्कस्सोगाहणं रूऊणावलियाए असंखेज्जदिभागेरण गुणिदमेत पुणो तप्पागोग्ग-असंखेज्ज-पदेसेणूणं तदुवरि वढिदो त्ति । तादे सुहुम-पढविकाइय-णिवत्ति-पज्जतयस्स जहण्णोगाहणा दोसइ । अर्थ-पश्चात प्रदेशोत्तर-क्रमसे बारह जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प बढ़ता रहता है ! कितने मासे ? सूक्ष्म-जलकायिक-निवृत्ति-पर्याप्तकको उत्कृष्ट अबगाहनाके एक कम आवलोके असंख्यात. भागसे गुणितमात्र पुनः उसके योग्य असंख्यात-प्रदेशोंसे कम इसके ऊपर वृद्धि होने तक । उस समय सूक्ष्म-पृथिवीकायिक(३९) निवृत्तिपर्याप्तककी जघन्य अवगाहना दिखती है ।। तदो पदेसुत्तर-कमेण सेरसण्हं जीवाणं मज्झिमोगाहण-वियप्पं बच्चदि तवणंतरोगाहणं आवलियाए असंखेज्जदि-भागेण खंडिदेय-खंडमे तदुवरि वढिदो ति । तावे सुहम-पढवि-णिव्वत्ति-अपज्जत्तयस्स उबकस्सोगाहणं दोसइ ।। - -. -. - ... १. द.ब.क.ज, तदा।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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