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गाथा : ३२० ] पंचमो महाहियारो
[ १८७ तदो पदेसुत्तर-कमेण पण्णारसहं प्रोगाहण-वियप्पं गच्छदि तवणंतरोगाहणं पायलियाए असंखेज्जवि-भागेण खंडिदेग-खंड वढिदो त्ति । लादे सहम-तेउकाइयणिव्यत्ति-अपज्जत्तयस्स उक्कस्सोगाहणा दोसइ ।।
अर्थ-तत्पश्चात् प्रदेशोत्तर क्रमसे पन्द्रह जीवोंकी अवगाहनाका विकल्प तब तक चलता है जब तक तदनन्तर अवगाहना आवलोके असंख्यातवें भागसे खण्डित एक भागप्रमाण बृद्धिको प्राप्त न हो जावे। उस समय सूक्ष्म - तेजस्कायिक(३०) नित्यपर्याप्तकको उत्कृष्ट अवगाहना दिखती है।
तदो पदेसुस्तर कामेण चौहसण्हं मनमोगाहण-वियष्य वच्चदि तवणंतरोगाहणं आवलियाए संखेज्जदि-भागेण खंडिदेग-खंडं तदुवरि वडि ढदो सि । तादे सहम-तेउकाइयशिवत्ति-पज्जत्तयस्स उक्कस्सोगाहणा दीसइ । एतियमेत्ताणि चेव तेउकाइय जोवस्स प्रोगाहण-बियप्पा । कुदो ? समुक्कस्सोगाहण-वियप्पं पत्तं ॥
पर्ष पश्चात् प्रदेशोत्तर-क्रमसे चौदह जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प तब तक चलता है जब तक कि तदनन्तर अवगाहना प्रावलीके असंख्यातवें भागसे खण्डित एक भागमात्र ( इस )के ऊपर वृद्धिको प्राप्त न हो जावे, तब सूक्ष्म-तेजस्कायिक(३१) निवृत्ति पर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना दिखती है । इतने मात्र ही तेजस्कायिक जीवको अवगाहनाके विकल्प हैं, क्योंकि वह उत्कृष्ट अवगाहनाको प्राप्त हो चुका है।
तादे पदेसत्तर-कमेण तेरसण्हं जीवाणं मज्झिमोगाहण - वियप्पं वच्चदि तप्पाओग्ग असंखेज्ज-पदेसं बढिदो त्ति । तादे सुहुम-प्राउकाइय - णित्ति - अपज्जत्तयस्स जहण्णोगाहणा दोसइ ।।
अर्थ-इसके पश्चात् प्रदेशोत्तर-कमसे तेरह जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प तब तक चालू रहता है जब तक कि उसके योग्य असंख्यात-प्रदेशोंकी वृद्धि न हो चुके, तब फिर सूक्ष्मजलकायिक(३२)-
नित्यपर्याप्तककी जघन्य अवगाहना दिखती है।
__ तदो पवेसुत्तर-कमेण चोइसण्हं जीवावं मज्झिमोगाहण-वियप्पं बच्चदि तप्पाप्रोग्ग-असंज्ज-पदेसं वढिदो त्ति । ताहे सुहुम-ग्राउकाइय-लद्धि-अपज्जत्तयस्स उक्कस्सोगाहणा दीसइ ॥