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तिलोयपण्णत्ती
[ गाथा : ३२० प्राप्त न हो जायें। उस समय सूक्ष्म-वायुकायिक(२५) निर्वृत्ति-अपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना दिखती है ।।
तको पदेसुत्तर-कमेण पण्णारसहं मज्झिमोगाहण-वियप्पं बच्चदि तदणंतरोगाहरणा आवलियाए असंखेज्जदिभागेण खंडिदेग-खंड तदुवरि वढिदो ति । तावे सुहमवाउकाइय-णिवत्ति-पज्जत्तयस्स उक्कस्सोगाहणा होदि । तदो पदेसुत्तर-कमेण चोद्दसण्हं ओगाहण-वियप्पं वच्चदि तप्पासोग्ग-असंखेज्ज-पदेस बडि ढदो ति । तावे सुहम-तेउकाइयणिव्वत्ति-अपज्जत्तयस्स जहागोगाहणा दीसइ ।।
अर्थ-तत्पश्चान् प्रदेशोत्तर-फ्रमसे पन्द्रह जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प तब तक चलता है जब तक कि तदनन्तर अवगाहना प्रावलीके असंख्यात भागसे खण्डित एक खण्ड-प्रमाण इसके ऊपर वृद्धिको प्राप्त न हो चुके । उस समय सूक्ष्म-वायुकायिक(२६) निर्वृत्ति-पर्याप्तकको उत्कृष्ट अवगाहना होती है । तत्पश्चात् प्रदेशोत्तर-क्रमसे चौदह जीवोंकी अवगाहनाका विकल्प उसके योग्य असंख्यात प्रदेशोंकी वृद्धि होने तक बढ़ता जाता है । उस समय सूक्ष्म तेजस्कायिक(२७) निर्वृत्तिअपर्याप्तककी जघन्य अवगाहना दिखती है ।
तदो पदेसुत्तर कमेण पण्णारसण्हं मज्झिमोगाहण-वियप्पं बच्चवि तप्पासोग्गअसंखज्ज-पदेसं वडि ढदो ति । तादे सुहम-तेउकाइय-लखि-अपज्जत्तयस्य प्रोगाहण-वियप थक्कदि, स उक्कस्सोगाहणं पत्तत्वादो। तदो पदेसुत्तर-कमेण चोद्दसण्हं प्रोगाहण-वियप्पं बच्चदि । केत्तियमेतेण ? सुहम-याउकाइय-णिवत्ति-पज्जत्तयस्स उपकस्सोगाहणा रूऊणावलियाए असंखेज्जदि - भागेण गुणिदं तप्पाओग्ग-असंखेज्ज-पदेसेणणं तदुरि बडि ढदो ति । तावे सुहम - तेउकाइय - णिवत्ति पज्जत्तयस्स जहष्णोगाहणा दोसइ ॥
अर्थ-तत्पश्चात् प्रदेशोत्तर-ऋमसे उसके योग्य असंख्यात प्रदेशोंकी वृद्धि होने तक पन्द्रह जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विवाल्प चलता है । उस समय सूक्ष्मतेजस्कामिक(२८)-लब्ध्यपर्याप्तककी अवगाहनाका विकल्प बिश्नान्त हो जाता है, क्योंकि वह उत्कृष्ट अवगाहनाको प्राप्त हो चुका है। तत्पश्चात् प्रदेशोत्तर-क्रमसे चौदह जीवोंको अवगाहनाका विकल्प चलता रहता है। कितने मासे ? सक्ष्मवायुकायिक-निवृत्तिपर्याप्तकको उत्कृष्ट अवगाहनाको एक कम आवलोके असंख्यात भागसे गुणित इसके योग्य असंख्यात प्रदेश कम (उस)के ऊपर वृद्धिके होने तक । तब सूक्ष्मतेजस्कायिका २९)निबत्ति-पर्याप्तककी जघन्य अवगाहना दिखती है ।।