________________
गाथा : ३२० ]
पंचमो महाहियारो
[ १८५
- इसके आगे उस सूक्ष्म निगोद निर्वृत्यपर्याप्तककी प्रवगाह्नाके विकल्प नहीं रहते । यह अवगाहना किसके होती है ? ग्रनन्तरकालमें पर्याप्त होनेवालेके उक्त अवगाहना होती है । यहाँस आगे प्रदेशोत्तर क्रमसे अवगाहनाके आावलीके असंख्यातवें भागसे खण्डित एक भागमात्र ( उस ) के ऊपर बढ़ जाने तक उक्त सोलह जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प बढ़ता जाता है। इस समय सूक्ष्म - निगोद (२१) निर्वृत्ति पर्याप्तककी अवगाहनाका विकल्प स्थगित हो जाता है, क्योंकि वह सर्वोत्कृष्ट अवगाहनाको प्राप्त हो चुका है । पश्चात् प्रदेशोत्तर क्रमसे उसके योग्य प्रसंख्यात प्रदेशों को वृद्धि हलिक पन्द्रह जीवोंकी मध्यम अवगाहनाका विकल्प चलता है । तदनन्तर सूक्ष्मवायुकायिक (२२) निवृत्यपर्याप्तककी सर्व जधन्य अवगाहना दिखती है ॥
तो पवेसुत्तर- कमेण सोलसण्हं मज्झिमोगाहण- वियत्यं यच्चवि तप्पा मोरय असंखेज्ज -पदेस - वडिदो त्ति । तादे सुहुम-वाउकाइय-लद्धि अपज्जत्तयस्स प्रोगाहण'farri थक्कदि, समुक्करसोगा हण-पत्तत्तादो । तावे पदेसुसर कमेण पण्पारसहं व मोगाह - विष्पं वच्चदि । केत्तियमेत्तेण ? सुडुम णिगोद- णिव्यत्ति पज्जत्तस्स उक्करसोगाहणं रूऊणावलियाए प्रसंखेज्जदि भागेण गुणिदमेतं हैट्ठिम तप्पा ओग्ग-प्रसंखेज्जपवेसेणूरणं तदुवरि वढिदो त्ति । तावे सुहुम बाउकाइय णिवत्ति पज्जत्तयस्स जहण्णो गाहणा दीसइ ||
अर्थ - तत्पश्चात् प्रदेशोत्तर क्रमसे उसके योग्य असंख्यात प्रदेशोंकी वृद्धि होने तक सोलह जीवोंकी मध्यम श्रवगाहनाका विकल्प चलता है । तब सूक्ष्मवायुकायिक ( २३ ) लब्ध्यपर्याप्तकको अवगाह्नाका विकल्प स्थगित हो जाता है, क्योंकि वह उत्कृष्ट अवगाहनाको पा चुका है। तब प्रदेशोत्तर क्रमसे पन्द्रह जीवोंके समान मध्यम अवगाहनाका विकल्प चलता रहता है। कितने मात्रसे ? सूक्ष्मतिगोद निवृत्ति पर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहनाको एक कम आवली के श्रसंख्यायें भागसे गुरिणतमात्र अधस्तन उसके योग्य असंख्यात प्रदेश कम उसके ऊपर वृद्धि होने तक । तब सूक्ष्म वायुकायिक (२४) निर्वृत्ति पर्याप्तककी जघन्य श्रवगाह्ना दिखती है ।
तो पवेसुत्तर- कमेण सोलसहं श्रोगाहण - वियष्पं यद्यदि इमा श्रोगाहणा आवलियाए प्रसंखेज्जदिभागेण खंडिबेग - खंड डिवो त्ति । तादे सुहुम बाउकाइयवित्त-अपज्जत्तयस्स उक्करसोगाहणा दीसइ ॥
-
अर्थ -- तत्पश्चात् प्रदेशोत्तर क्रमसे सोलह जीवों की अवगाहनाका विकल्प तब तक चालू रहता है, जब तक ये अवगाहनायें आवली के असंख्यातवें भागसे खण्डित एक भाग प्रमाण वृद्धिको
१. ६. ब. संभोगाहणं ।