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तिलोयपत्ती
[ गाथा : २८२
या : रि.१० १०
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अलका बादर अपर्याप्त राशि ।
संख्यात
वायुका० बादर अप० राशिवायुका० बादर राशि - वायुकर० पर्याप्त राशि । या = रि-१० १० १० १- वायुका० बादर अपर्याप्त राशि !
. पुणो पुढविकायावोरणं सुहुम-रासि-पत्तेयं तप्पाओग्ग संखेज-वेहि खंडिदे बहुभाग सुटुम-पज्जत-जीव-रासि-पमाणं होदि । पुढवि = रि १०६४ । आउ = रि १९ १९६५ । तेउ = रि, | वायु =
रि१९९५ । अर्थ–पुनः पृपिवीकायिकादि जीवोंकी प्रत्येक सूक्ष्मराशिको अपने योग्य संख्यात रूपोंसे खण्डित करनेपर बहुमागरूप सूक्ष्म पर्याप्त जीव राशिका प्रमाण होता है ।
विशेषार्थ-पृथिवीकायिक सूक्ष्म पर्याप्त राशि=Z० मध्म रा ( बहुभाग )। या = रि १६ । जलकायिक सूक्ष्म पर्याप्त राशि-ज० सूक्ष्म रा० या = रि १० । तेजस्कायिक सूक्ष्म पर्याप्त राशि ते० सूक्ष्म रा०
सख्यात या = रि । वायुकायिक सूक्ष्म पर्याप्त राशि वायु० सूक्ष्म रा०
सख्यात या = रि १० १० १९६४ तत्यंगभाग सग-संग-सुहुम-अपज्जत्त-रासि परिमाणं होवि । पुढवि = र १० ; रि १० १०५
= रि १० १० १०८
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सस्यात
रि८