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गाथा : २८२ ] पंचमो महाहियारो
[ १४७ विशेषार्थ-तेजस्कायिक बादर पर्याप्त राशि-धनावली या । पुणो लोगस्स संखेजदि-भागे बादर-बाउ-पज्जत्त-जीव-पमाणं होदि । प्रर्थ–पुनः लोकके संख्यातवें भागरूप बादर वायुकायिक पर्याप्त जीवराशि होती है। विशेषार्थ-वायु बादर पर्याप्त राशि लोक या ।
सग-सग-बाबर-पज्जत्त-रासि सग-सग-बावर-रासीदो सोहिदे सग-सग-बावरअपज्जत-रासी होवि ।
पुढ : रि १० मि
- २ | पास:
१० ५० रिय--
तेउ = रि रिण 5 | वाउ = रि १० १० १० रिण :,
8
अर्थ-अपनी-अपनी बादर राशिमेंसे अपनी-अपनी बादर पर्याप्त राशिको घटा देने पर शेष अपनी-अपनी बादर अपर्याप्त राशिका प्रमाण प्राप्त होता है।
विशेषार्ष-तेजस्का० बादर अपर्याप्त राशि=ते. बा. राशि -ते. बा० पर्याप्त राशि पा = रि}-- या = रि रिण है।
पृ० का० बादर अप० राशि-पृ० का० बादर – पृ० का बादर पर्याप्त राशि या = रि -४रि।
या = रि_१०१ -- ८ | १ पृ० कायिक बा० अपर्याप्त राशि ।
कायिक बा०अपर्याप्त राशि ।
जलका० बादर अप० राशि- जलका० बादर - जलका० पर्याप्त राशि ।
___ या : रि १० १०१