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पंचमी महाहियारो
सामान्य पृथिवी, जल और वायुकायिक जीवोंका प्रमाण
पुणो तेउका इयरासिमसंखेज्ज - लोगेख भागे हिदे लद्ध तस्मि चेव पक्लित्ते पुढविकाइयरासी होदिरि । ॥
गाथा : २८२ ]
अर्थ - पुनः तेजस्कायिक- राशिमें श्रसंख्यात लोकका भाग देनेपर जो लब्ध प्राप्त हो उसे इसी (तेजस्कायिक) राशिमें मिला देनेपर पृथिवीकायिक जीव राशिका प्रमाण होता है । विशेषार्थ - यथा— इसका सूत्र इसप्रकार है
(सामान्य) पृथिवीकायिक राशि = तेजस्कायिक राशि +
या = रि+रिया = रि ।
नोट- यहाँ १० का अंक असंख्यात लोक + १ का प्रतीक है ।
तम्मि असंखेज्जलोगेण भागे हिंदे' लद्ध तम्मि चेव पक्खित्ते आउकाइय-रासी होदि = रि । ३ । ।
विशेषार्थ --- ( सामान्य ) जलकायिक राशि
अर्थ - इसमें असंख्यात लोकका भाग देनेपर जो लब्ध प्राप्त हो उसे इसी राक्षिमें मिला देनेपर जलकायिक जीवराशिका प्रमाण प्राप्त होता है ।
ते० का० रा०
असं० लोक
विशेषार्थ --- ( सामान्य ) वायुकायिक राशि :
या रि +
=
१. ब. हि । २ द.
या ≡रि +≡रि या रि I
तमि श्रसंखेज्जलोगेण भागे हिदे लद्ध तम्मि चेव पविखते वाउकाइय-रासी होइ = रि1 | ।। 3
रि
१० १०
[ १४३
अर्थ – इसमें भसंख्यात लोकका भाग देनेपर जो लब्ध प्राप्त हो उसे इसी राशिमें मिला देनेपर वायुकायिक जीवराशिका प्रमाण होता है ।
पृ० का० रा० + पृ० का ० राशि असं० लोक
- वा० का० राशि +
ज० का० रा० असं लोक
ब, । १०१ । ३.८.३०३३ ।