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तिलोय पण्णत्तो
साहारण पत्तेय - सरीर वियप्पे वणप्फई' साहारा यूलिदरा, पदिडिदिवरा' य
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बादर
पृथिवीका० ४ जलका० ४
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अथं - एकेन्द्रिय, विकलेन्द्रिय और सकलेन्द्रिय जीव कहे जाने वाले क्रमसे बारह, तीन और दो भेदरूप हैं । इनमें से एकेन्द्रियोंमें पृथिवी, जल, तेज और वायु, ये प्रत्येक बादर एवं सुक्ष्म होते हैं । साधारण शरीर और प्रत्येक शरीरके भेदसे वनस्पति कायिक जीव दो प्रकार हैं। इनमें साधारणशरीर जोब बादर और सूक्ष्म तथा प्रत्येक शरीरें जीव प्रतिष्ठित और अप्रतिष्ठित ( के भेदसे दो-दो प्रकारके ) होते हैं ।। २८०-२६१।।
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विशेषार्थ
एकेन्द्रियोंके २४ भेद
तेजका० ४
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सूक्ष्म बा० सू० बा०
वायुका ० ४
[ गाथा : २८१
सू० बा०
दुविहा । पसेयं ॥ २८१ ॥
वनस्पतिकायिक
सू० साधारण प्रत्येक
पर्याप्त अप०प० अ० प० अ० प० अ० प० अ० प० अ० प० ० ० ० बादर सू० प्रति० श्रप्रति०
प० अप० प० प्र० प० अ० प० अप०
१. द. ब. क. ज. वणप्पई । २. द. ब. क. ज. धूलि दिदा । ३. द. व क.अ. परिदिट्ठिदिरा
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