SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 203
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गाथा : २७८ ) पंचमो गहाजियारो [ १३५ उदाहरण-(१) मानलो यहाँ क्षीरवर समुद्र इष्ट है । जिसका विस्तार ५१२००००० योजन है अत:---- क्षीर० स० में तीनों वृद्धियाँ-१२०००००४ २, ३ और ४ अर्थात् २५६०००००४२=५१२००००० योजन आदिम सूची का वृद्धि प्रमाण । २५६०००००४ ३-७६८००००० योजन मध्यम सूची का वृद्धि प्रमाण । २५६०००००x४ - १०२४००००० योजन बाह्य सूची का वृद्धि प्रमाण । अर्थात् क्षीरवरद्वीपके तीनों सूची-व्यासमें इन तीनों वृद्धियोंका प्रमाण जोड़ देनेपर क्षीरवर समुद्र के तीनों सूची-व्यास का प्रमाण प्राप्त हो जाता है । (२) यहाँ अन्तिम समुद्र इष्ट है । जिसका विस्तार : राजू +७५००० योजन है अत :अन्तिम स० में तीनों वृद्धियां- राजू + ७५००० यो.xक्रमशः २, ३ और ४ अर्थात् राजू + ३७५०० यो०४२= राजू +७५००० यो० । 4 राजू +३७५०० यो०४३- ३ राजू + ११२५०० यो । ३ राज+३७५०० यो०x४= राजू+१५०००० यो । स्वयम्भूरमणद्वीपकी प्रादि सूची ३ रा०-२२५००० यो, मध्यम सूची ३ राज ---- १८७५०० यो० और अन्त सूची ३ राजू-१५०००० यो० है। इसमें उपयुक्त प्रक्षेपभूत वृद्धियाँ क्रमशः जोड़ देनेसे अन्तिम समुद्रको तीनों सूचियों का प्रमाण क्रमशः प्राप्त हो जाता है । यथास्वयम्भूरमणद्वीपका आदि सूची-व्यास रा०-२२५००० यो० प्रक्षेप: रा०+७५००० यो ।। स्वयम्भूरमणसमुद्रका आदि सूची-व्यास : रा० -- १५०००० यो. स्वयम्भूरमणद्वीपका मध्यम सूची-व्यास है रा० - १८७५०० यो० प्रक्षेप है रा० + ११२५०० यो० स्वयम्भूरमरण समुद्रका मध्यम सूची-व्यास रा० - ७५००० यो० स्वयम्भूरमण द्वीपका अन्तिम सूची-ग्यास ३ राजू - १५०००० यो. प्रक्षेप ३ राजू + १५०००० यो. स्वयम्भूरमण समुद्रका अन्तिम सूची-न्यास १ राजू - - - -
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy