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________________ पंचमो महाहिमारो अठारहवाँ पक्ष श्रधस्तन द्वीप - समुद्रोंके त्रिस्थानक सूची-व्यास द्वारा उपरिम द्वीप- समुद्रोंका सूची-व्यास प्राप्त करनेही ि अट्ठारसम-पक्खे अप्पबहुलं वत्तइस्सामो गाया : २७७ ] लवणणीरधोए' श्रादिम-सूई एक्क लववं, मज्झिम-सूई तिष्णि-लक्लं, बाहिरसूई पंच-लक्वं, एवेसि ति द्वाण-सूईणं मके कमसो चज छक्कडु - लक्खाणि मेलिदे धावईसंडदीवस श्रादिम-मज्झिम बाहिर सूईश्री होंति । पुणो धावईसंडदीवस्स तिद्वाण-सूईणं म पुयिल्ल-पक्वं दुगुणिय कमसो मेलिडे कालोदग-समुद्दस्स तिट्ठाण सूईश्रो होवि । एवं हैट्ठिम दीवस्स वा रयणायरस्त वा तिट्ठाण सूईणं मज्भे च छषकटु-लक्खाणि प्रभहियं करिय उवरिम- दुगुण-दुगुणं कमेण मेला वेदव्वं जान सयंभूरमणसमुद्दोति ॥ वरणसमुद्र की अर्थ-यारहवें पक्ष में अल्पबहुत्य कहते हैं लबणसमुद्रकी आदिम सूची एक लाख, मध्यम सूची तीन लाख और बाह्य सूची पाँच लाख योजन है। इन तीन सूचियोंके मध्य में क्रमशः चार लाख, छह लाख और आठ लाख मिलाने पर धातकी खण्डकी आदिम, मध्यम और बाह्य सूची होती है । पुनः धातकीखण्डकी तीनों सूचियों में पूर्वोक्त प्रक्षेपको दुगुना कर क्रमशः मिला देनेपर कालोदक समुद्रकी तीनों सूचियाँ होती हैं। इसप्रकार अधस्तन द्वीप अथवा समुद्र की त्रिस्थान सूचियोंमें चार बह और आठ लाख अधिक करके आगे-आगे स्वयम्भरमरण समुद्र पर्यन्त दूने दूने क्रमसे मिलाते जाना चाहिए || विशेषार्थ प्रक्षेप = धातकीखण्डदीपकी दुगुना प्रक्षेप कालोदक समुद्रकी = दुगुना प्रक्षेप पुष्करवर द्वीपकी 9 0 १००००० यो० + ४००००० यो० ५००००० यो० + ३००००० यो० + ६००००० मो. ६००००० यो० + ६००००० × २ २१००००० यो० ४०००००X२ १३००००० यो० + ५०००००X२ १२०००००x२ २९००००० मो० ४५००००० यो० इसीप्रकार स्वयम्भूरमण समुद्र पन्त ले जाना चाहिए । १. द. न. लवणणीरखीए । + [ १३३ ५००००० यो० + 400000 410 १३००००० घो० + ८०००००x२ २९००००० यो० + १६०००००x२ ६१००००० यो
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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