________________
गाथा : २७६ ]
पंचमो महाहियारो
[ १३१
अन्तिम द्वीप के विष्कम्भ और आयाम में क्रमशः एक लाख और सत्ताईस लाख कम करके ( शेष के गुणनफल में ) पन्द्रहका भाग देनेपर जो लब्ध प्राप्त हो उतना इच्छित द्वीपसे ( जम्बुद्वीपको छोड़कर) अधस्तन द्वीपोंका संकलन होता है ।।२७६ ॥
विशेषाय-गाथानुसार सूत्र इसप्रकार है
अभ्यन्तर समस्त ( अन्तिम द्वीपका विष्कम्भ - १०००००) ४ ( उसीका आयाम - २७००००० ) द्वीपों का क्षेत्रफल
१५
उदाहरण - ( १ ) मानलो - यहां अन्तिम इष्ट द्वीप वारुणीवर है। जिसका विष्कम्भ ६४००००० योजन और आयाम ५६७००००० योजन है ।
धातकी० और पु० द्वीपका सम्मिलित क्षेत्रफल
क्षेत्रफलका प्रमाण
} ={६४००००० - १०००००
स्वयम्भू रमरणद्वीपका
क्षेत्रफल
- २९६८०००००००००० वर्ग यो० ।
(२) स्वयंम्भूरमणद्वीपसे अप्रस्तन समस्त ( जम्बूद्वीपको छोड़कर ) द्वीपोंके सम्मिलित
= ३ रा
३२०
1
) ४ (५६७००००० - २७०००००
10 )
१५.
६३००००० x ५४०००००० १५.
स्वयम्भूरमणद्वीपका विष्कम्भ = है राजू + ३७५०० योजन ।
स्वयम्भूरमणद्वीपका आयाम = राजू - ५६२५०० योजन ।
- ( राजू + ३७५००-१०००००) ४ ( राजू - ५६२५००-२७०००००वर्ग यो ० )
x
१५.
( राजू + ६२५०० ) x ( राजू - ३२६२५००)
१५
[ राजू' + राजू (–३२६२५००- ९६२५००) यो० + ६२५०० × ३२६२५०० वर्ग यो० ]
१५.
- राजू - ४७८१२५ रा० यो०+२०३९०६२५०००० वर्ग यो०
१५
- रा० थो० ३१८७५+ १३५५९३७५०००० वर्ग योजन ।