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गाथा : २७५ } पंचमो महाहियारो
[ १६ धातकीखण्ड और पुष्करबरदीपके ( १४४ +२८८०=३०२४ खं० श० रूप ) क्षेत्रफलसे वारुणीवरदीपका ( ४८३८४ खण्डशलाका रूप ) क्षेत्रफल १६ गुना है । यथा
वारुणीवर द्वीपकी ख० श० ४८३८४ = ( ३०२४ ख श०) x १६ !
धातकीखण्ड, पुष्करवरद्वीप और बारुणीवरद्वीपके (१४४ + २८८० +४८३८४-- ५१४०८ ख० श० रूप ) क्षेत्रफलसे क्षीरव रद्वीपका ( ७८३३६० ख० श० रूप ) क्षेत्रफल १५ गुना होकर [७८३३६० ख० श० ---( ५१४०८ ख० श० x १५)=१२२४० ख० श० रूप ] ६१८४(१०)" वर्ग योजन अधिक है । यथावृद्धि सहित क्षेत्रफल ७८३३६० स्व० श० रूप=(५१४०८४१५ ख श०) + १२२४०
वंश. x ७५४(१०) =( ५१४०८ x १५ ख० श० ) + ९१८००००००००००० वर्ग यो० इसप्रकार क्षीरवर आदि अभ्यन्तर सब द्वीपोंके क्षेत्रफलसमूहसे उपरिम द्वीपका क्षेत्रफल प्रत्येक १५ गुना होनेके अतिरिक्त प्रक्षेपभूत ९१८ x (१०)" से ४ गुना होकर १०८ x (१०)° वर्ग योजन अधिक है । यथा
क्षीरवरद्वीपसे ऊपर घृतवरद्वीप है। जिसका विस्तार १०२४ लाख योजन और आयाम [(१०२४ लाख ) ४ (१०२४ ला० – १ ला० )४९ ] योजन है। इस द्वोपकी खण्ड श. १२५७०६२४ हैं । जो धातकी खण्ड, पुष्करवरद्वीप, वारुणीवरद्वीप और क्षीरवरद्वीपकी ( १४४+ २८८०+४८३८४ : ५५३३६० - ) ८३४७६८ सम्मिलित खण्ड शलाकारोंसे १५ गुना होकर [ १२५७०६२४ -( ८३४७६८ x १५ )+ ४९१०४ ख श० रूप ] ९१८४ (१०/११ वर्म योजन का ४ गुना होते हुए १०८४(१०)1° बर्ग योजन अधिक है । यथा
घृत० द्वीपका क्षेत्र० १२५७०६२४ ख० श० रूप-(८३४७६८ ख० श०x१५)+ ( ४९१०४ ख श. ) अथवा ८३४७६८ x १५-- १२५२१५२० ख० श० रूप क्षेत्र + [६१८४ (१०)"४४-३६७२००००००००००० ] + १०८०००००००००० वर्ग योजन है।
स्वयम्भूरमणद्वीपके अधस्तन सर्व-दीपोंके क्षेत्रफलका प्रमाण
तत्थ अंतिम-वियप्पं वत्तइस्सामो-सयंभूरमणदीवस्स हेझिम-सव्व-दीवाणं खेत्तफल-पमाणं रज्जूए वग्गं ति-गुणिय धोसुत्तर-तिय-सदेहि भजिवमेत्तं, पुणो एक्कसहस्सं तिण्णि-सय-उणसद्वि--कोडीनो सत्ततीस-लक्खं पण्णास-सहस्स-जोयहि अमहियं होइ । पुणो एक्कतीस-सहस्सं अट्ट-सय-पंचहत्तरि-जोयणेहि गुणिद-रज्जूए' परिहोणं होइ ।
- - - - ... -... ..--- -- -- - १. ३. में. रज्जएवि।