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________________ १२८ ] तिलोयपणात्ती [ गाथा : २७५ राजू-२८१२५ रा. यो०-२१०६३७५०००० वर्ग योजन स्वयम्भूरमण द्वीपका क्षेत्रफल है। सत्तरहवा-पक्ष अधस्तन द्वीपके ( पिण्डफल+प्रक्षेपभूत ) क्षेत्रफलसे उपरिम समुद्र का क्षेत्रफल कितना होता है ? सत्तारसम-पक्खे अप्पबहुलं वत्त इस्सामो । तं जहा-घादईसंड-खेत्तफलादो पक्खरवरखीवस्स खेत्तफलं बीस-गुणं । धादईसंड - सहिद - पोखरवरदीव - खेत्तफलादो वारुणिवर-खेत्तफसं सोलस-गुणं । धादईसंड-पोषखरवरदीव-सहिय-वारुणियरदीव-खेत्तफलादो खीरवरवीव-खेत्तफलं पण्णारस-गुणं होऊण सीदि-सहस्स-सहिय-एक्काणउवि-लक्खकोडीनो अम्भहियं होइ ६१८०००००००००००। एवं खीरवर-दीव-प्पहुवि अभंतरिमसध-वीव गउवि-लक्ख-कोडोप्रो चउग्गुणं होऊण एयलक्ख-अट्ठ-सहस्स-कोडि-जोयणेहि अभिहियं होइ १०८०००००००००० 1 एवं रणेदवं जाव सयंभूरमण-दीनो ति ।। प्रयं-सत्तरहवें पक्षमें अल्पबहुत्व कहते हैं । वह इसप्रकार है-धातकीखण्डके क्षेत्रफलसे पएकरवरद्वीपका क्षेत्रफल बीस गुना है । धातकीखण्ड सहित पुष्करवरद्वीपके क्षेत्रफलसे वारुणीवरदीपका क्षेत्रफल सोलह गुना है । धातकीखण्ड और पुष्करवरद्वीप सहित वारुणीवरद्वीपके क्षेत्रफलसे क्षीरवरद्वीपका क्षेत्रफल पन्द्रह गुना होकर इक्यान लाख अस्मी हजार करोड़ योजन अधिक है ९१८००००००००००० । इसप्रकार क्षीरवर प्रादि अभ्यन्तर सब द्वीपोंके क्षेत्रफलसे अनन्तर बाह्य भागमें स्थित द्वीपका क्षेत्रफल पन्द्रह गुना होनेके अतिरिक्त प्रक्षेपभूत इक्यानबै लाख अस्सी हजार करोड चौगुने होकर एक लाख आठ हजार करोड़ योजनोंसे अधिक है १०८००००००००००। यह क्रम स्वयम्भूरमणद्वीप पर्यन्त जानना चाहिए। विशेषार्ष-धातकीखण्डके क्षेत्रफलसे पुष्करबरद्वीपका क्षेत्रफल २० गुना है। यथा पु० द्वीपकी खं० श० २८८० =(धा० की खं० श० १४४)x२० । १. द. ब. कट्ठारस ।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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