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गाथा : २७५ ] पंचमो महाहियारो
[ १२७ अदिरेयस्स पमाणारयण-हेदुमिमा सुत्त-गाहा
सग-सग-मझिम-सूई, णव-लक्ख-गुणं पुणो वि मिलिदव्वं ।
सत्तावीस • सहस्सं, कोडोयो तं हवेदि अदिरेगं ॥२७॥ अर्थ – अतिरेकका प्रमाण प्राप्त करने हेतु यह गाथा-सूत्र है---
अपनी-अपनी मध्यम-सूचीको नौ लाखसे मुरणा करके उसमें सत्ताईस हजार करोड़ और मिला देनेपर वह अतिरेक-प्रमाण होता है ।।२७५॥
विशेषार्थ-गाथानुसार सूत्र इसप्रकार हैअतिरेक का प्रमाण-(निज मध्यम सूची ४९०००००)+२७४ (१०) वर्ग योजन ।
उदाहरण-(१) वारुणीवरद्वीपको मध्यम सूचीका प्रमाण १८९ ला० योजन है । वारुणी० द्वीप सम्बन्धी अतिरेक-प्रमाण-( १८६०००००४६०००००) + २७००००००००००
वर्ग योजन । -१७२८०००००००००० वर्ग योजन है। (२) स्वयम्भूरमणद्वीपकी मध्यम सूचीका प्रमाण ( ई रा०–१८७५०० यो० ) है। इसके अतिरेक प्रमाण = [( रा०-१८७५०० यो०) x ९०००००+२७ x { १० )"
वर्ग यो -( है रा० x ९००००० यो०)-(१८७५००४ ९०००००)
+ २७०००००००००० वर्ग योजन = २७०१००० रा. यो० -- १६८७५००००००० +
२७०००००००००० वर्गयो. -३३७५०० रा० यो० + १०१२५००००००० वर्ग योजन है। इस अतिरेकके प्रमाणमें अहीन्द्रवरद्वीपका १६ गुना क्षेत्रफल जोड़ देनेपर स्वयम्भरमणद्वीपका क्षेत्रफल प्राप्त हो जाता है । यथा
( अहीन्द्रवर द्वीपका १६ गुना क्षेत्रफल = राजू -- ३६५६२५ रा. यो. -- १२२३४३७५०००० वर्ग यो०)+ (अतिरेकका प्रमाण-३३७५०० रा० यो०+१०१२५००००००० वर्ग यो०)।