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________________ १२६ । तिलोयपगत्ती [ गाथा : २७४ विशेषार्थ स्वयम्भूरमरणद्वीपका विस्तार- राजू + ३७५०० योजन । स्वयम्भूरमणद्वीपका पायाम- ( राज -+३७५०० – १०००००)- १ = ९रा-५६२५०० योजन है । स्वयम्भूरमरणद्वीपका क्षेत्रफलपुरणो खेत्तफलं रज्जूए कदी णव-रूवेहि गुणिय चउसट्ठि-रूवेहि भजियमेतम्मिपुणो रज्जू ठधिय अट्ठावीस-सहस्स-एक्कसय-पंचवीस-रूवेहि गुरिसदमेत्ता, पुणो पण्णाससहस्स-सत्तत्तीस-लक्ख-णव-कोडि-अब्भहिय-दोणि-सहस्स-एक्कसय-कोडि-गोयणं एदेहि' दोहि रासोहि परिहोणं पुग्विल्ल-रासी होदि । तस्स ठवरणा- रिण रज्जनो छ । २८१२५ रिण जोयणाणि २१०९३७५०००० ॥ अर्थ-पुनः इस ( स्वयम्भूरमण ) द्वीपका क्षेत्रफल राजूके वर्गको नौसे गुणा करके प्राप्त राशिमें चौंसठका भाग देनेपर जो लब्ध प्राप्त हो उसमेंसे, राजूको स्थापित करके अट्ठाईस हजार एक सो पच्चीससे गुणा करनेपर जो राशि उत्पन्न हो उसे और दो हजार एकसौ नौ करोड़ संतीस लाख पचास हजार योजन, इन दो राशियोंको कम कर देनेपर अवशिष्ट पूर्वोक्त राशि प्रमाण है । उसकी स्थापना इसप्रकार है- राजू – ( रा० १४२८१२५ यो० ) – २१०९३७५०००० ।। विशेषार्थ-स्वयम्भूरमणद्वीपका क्षेत्रफल = विस्तार आयाम इस द्वीपका विस्तार= राम+३७५०० योजन है और पायाम- ९राज -- ५६२५०० यो० है । इस द्वीपका क्षेत्रफल=(राज़ + ३७५०० यो० )x { ९रा०-५६२५०० यो० ) = ९राज + राज [EX ३७५००---५६२५०० यो०]–३७५०० ४ ५६२५०० ] = ९राजू + (राजू x २८१२५ यो०)-२१०९३७५०००० वर्ग यो । = राजू-२८१२५ राजू यो०--२१०९३७५०००० वर्ग योजन। १. द. एवे हृदाइ, . एदे हवाह ।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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