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गाथा : २७४ ] पंचमो महाहियारो
[ १२५ अहीन्द्रवर द्वीपका क्षेत्रफल___ अहिंदवरदीवस्स खेतफलं रज्जूए वगं णव-रूबेहि गुणिय एषक-सहस्स-च उवीस रूवेहि भजिवमेतं, पुणो रज्जए सोलसम-भागं ठबिय तिण्ण-लक्ख-पंच-सटि-सहस्स-छस्सयपणवीस-जोयणेहि गुणिवमेत परिहीणं होदि, पुणो सत्तसय चउटि-कोडि-च उसद्धिलक्ख-चउसीदि-सहस्स-ति-सय-पंचहत्तरि-जोयणेहि परिहीणं होदि । तस्स ठवणा-- । ६. रिण रखको ७ .. रिभ कोषमाणि ७६४६४८४३७५ ।
अर्थ-अहीन्द्रवरद्वीपका क्षेत्रफल राजूके वर्गको नौसे गुणा करके एक हजार चौबीसका भाग देनेपर जो लब्ध प्राप्त हो उसमेंसे, राजूके सोलहवें भागको रखकर तीन लाख पैसठ हजार छह सौ पच्चीस योजनोंसे गुणा करनेपर जो राशि उत्पन्न हो उतना कम है, पुनः सातसो चौंसठ करोड़ चौसठ लाख चौरासी हजार तीन सौ पचहत्तर योजन कम हैं । उसकी स्थापना इसप्रकार है९.राजू--( रा० ११४३६५६२५ यो०)-७६४६४८४३७५ ।
__विशेषार्थ-अहीन्द्रवरद्वीपका क्षेत्रफल विस्तार आयाम ! = ( राज+९३७५ ) x ( ९ राजू-८१५६२५ यो० ) =९ (राजू) + राज़ - [ ( ९३७५४९ )-८१५६२५ यो०]-९३७५४ ८ १५६२५ वर्ग यो । = १ राजू -राज ७३१२५० यो० - ७६४६४८४३७५ वर्ग यो० । == ९ राज---राजू x ३६५६२५ यो० -- ७६४६४८४३७५ वर्ग योजन ।
स्वयम्भूरमणद्वीपका विस्तार एवं आयामसयंभूरमणदोवस्स विक्खंभं रज्जए अट्टम-भागं पुणो सत्सत्तीस-सहस्स-पंचसयजोयणेहि प्रभाहियं होदि, आयामं पुणो णव-रज्जूए अट्ठभ-भागं पुरषो पंच-सपख-बासद्धिसहस्स-पंच-सय-जोयणेहि परिहोणं होई । तस्स ठवणा -७ । धरण जोयणाणि ३७५०० । प्रायाम ७ । रिण जोयणाणि ५६२५०० ।।
अर्थ –स्वयम्भूरमणद्वीपका विस्तार राजूका आठवा भाग होकर सैंतीस हजार पाँच सौ योजन अधिक है और इसका पायाम नौ राजुओंके आठवें भागमेंसे पाँच लाख बासठ हजार पाँच सौ योजन हीन है । उसकी स्थापना इसप्रकार है
वि०= राजू + ३७५०० यो । आयाम= राजू-५६२५०० यो० ॥