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तिलोयपपपत्ती ही राजू - ( ५२५०० रा० यो०४ १५–९००००० राजू) + [१६८७५४ १५४ (१०) --२७४ (१०)१० ] वर्ग यो०
राजू २-(९८५५००-९०००००) रा० यो० + (२५३१२५००००००-- २७००००००००००) - राजू+ ११२५०० राजू x यो०-१६८७५.०००००० वर्ग योजन।
सोलहवां-पक्ष
अधस्तन द्वीपके विष्कम्भ और पायामसे उपरिम द्वीपका विष्कम्भ और आयाम
कितना अधिक होता हुआ गया है ? उसे कहते हैंसोलसम-पक्खे अप्पबहलं वत्त इस्सामो। तं जहा--धादईसंडदीवस्स विक्खंभं चत्तारि-लक्खं, आयामं सत्तावीस-लक्खं । पोक्खवरदीव-विषखंभं सोलस-लक्खं, मायाम पणतीस-लक्ख-सहिय-एय-कोडि-जोयण-पमाणं । वारुणिवरदीव-विक्खंभं चउसद्धि-लक्खं, आयाम सत्तसटि-लक्ख-सहिय-पंच-कोडोओ। एवं हेट्ठिम-विषखंभादो उपरिम-विषखंभं चउग्गुणं, पायामाको मायाम चउग्गुणं सत्तावीस-लक्खेहि अम्भाहियं होऊण गच्छइ जाव सयंभूरमणदीओ ति॥
अर्श-सोलहवें पक्षमें अल्पबहुत्व कहते हैं । वह इसप्रकार है-धातकीखण्डद्वीपका विस्तार चार लाख और आयाम सत्ताईस लाख योजन है। पुष्करवरद्वीपका विस्तार सोलह लाख और आयाम एक करोड़ पैतीस लाख गोजन है । वारुणीवरद्वीपका विस्तार चौंसठ लाख और आयाम पांच करोड़ सड़सठ लाख योजन है । इसप्रकार अधस्तन द्वीपके विस्तारसे तदनन्तर उपरिम द्वीपका विस्तार चौगुना और प्रायामसे पायाम चौगुना होनेके अतिरिक्त सत्ताईस लाख योजन अधिक होता हुआ स्वयम्भूरमरण-द्वीप पर्यन्त चला गया है।
विशेषार्थ-अधस्तन द्वीपकी अपेक्षा उपरिम द्वीपका विस्तार ४ गुना होता हुया जाता है। यथा
धातकी द्वीपका वि० ४००००० यो० = (जम्बूद्वीपका वि० १०००००) ४४ पुष्कर द्वीपका वि० १६००००० यो० =(घातकी०का विस्तार ४०००००)x४