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________________ गाथा : २६८ ] पंचमो महायिारो [ १०३ स्वयम्भूरमणसमुद्रका क्षेत्रफल-( विस्तार x अायाम ) = ( राजू + ७५००० यो०)x ( राजू- २२५००० योजन । = (राजू) + राजू [ 1 x ( – २२५००० ) + (३ x ७५०००)] -७५००० ४२२५००० यो । = ४ (राजू) + राजू ( – ५६२५० + १६८७५० ) - १६८७५०००००० | =t (राजू) + (११२५००) राजू - १६५७५०००००० बर्ग योजन । ___ गोलाकार क्षेत्रका क्षेत्रफल प्राप्त करनेकी विधिएवं दीवोबहीणं विक्खंभायाम-खेत्तफलं च पल्वण-हेतुमिम गाहा-सुत्तं लक्ख-विहीणं रुदं, णवहि गुणं इच्छियस्स वोहतं । तं चैव य द - गुणं, खेत्तफलं होदि वलयाणं' ॥२६८।। पर्थ-इसप्रकार द्वीप-समुद्रके विस्तार, आयाम और क्षेत्रफलके निरूपण हेतु यह गाथा एक लाख कम विस्तारको नौसे गुणा करनेपर इच्छित दीप या समुद्रकी लम्बाई होती है। इस लम्बाईको विस्तारसे गुणा करनेपर गोलाकार क्षेत्रोंका क्षेत्रफल होता है ।। २६८ ॥ उदाहरण-गाथानुसार सूत्र इसप्रकार हैइष्ट द्वीप या समुद्रका आयाम ( लम्बाई )=( विस्तार-१००००० ) ४९ इष्ट द्वीप या समुद्रका क्षेत्रफल = लम्बाई (पायाम ) x विस्तार मानलो-यहाँ नन्दीश्वर द्वीप इष्ट है, जिसका विस्तार १६३८४००००० योजन है। नन्दीश्वरद्वीपका आयाम=(१६३८४००००० – १००००० )४९ =१४७४७००००० योजन । मन्दीश्वरद्वीपका क्षेत्रफल- १४७४४७०००००४ १६३८४००००० । =२४१५७७१६४८०००००००००० बर्ग बोजन। १. ब. लवयाणं।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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