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________________ १०४ ) तिलोयपण्णत्ती [ गाथा : २६९ 'अधस्तन द्वीप या समुद्रके क्षेत्रफलसे उपरिम द्वीप या समुद्रके क्षेत्रफलको सातिरेकताका प्रमाणहेदिम-दीवस्स या रयणायरस्स वा खेत्तफलावो उरिम-दोबस्स या तरंगिणीणाहस्स बा खेत्तफलस्स साविरेयत्त-परूवण-हेदुमिमा गाहा-सुत्तं-- कालोदगोवहीदो, उरिम-दीवोवहीण पत्तक्कं । रुदं णव-लक्ख-गुणं, परिवड्डी होदि उवरुवरि ॥२६॥ प्रथ-अधस्तन द्वीप या समुद्रके क्षेत्रफलसे उपरिम द्वीप या समुद्र के क्षेत्रफलकी सातिरेकता के निरूपण हेतु यह गाथा-सूत्र है __ कालोदसमुद्रसे उपरिम द्वीप-समुद्रोंमेंसे प्रत्येकके विस्तारको नौ लाखसे गुणा करनेपर ऊपर-ऊपर वृद्धिका प्रमाण प्राप्त होता है 11 २६९ ।। विशेषार्थ-कालोद समुद्र के बाद अधस्तन द्वीप या समुद्रके क्षेत्रफलसे उपरिम द्वीप या समृद्रका क्षेत्रफल चार-चार गुना होता गया है और प्रक्षेप ( ७२००० करोड़) दूना-दूमा होता गया है। उपर्युक्त गाथा द्वारा प्र ( सातिरेक ) का प्रमाण प्राप्त करनेकी विधि दर्शाई गई है । यथा गाथानुसार सूत्र इसप्रकार हैवरिणत ऊपर-ऊपर वृद्धि-( कालोदसे ऊपर इष्ट द्वीप या स० का विस्तार ) ४९ मानलो-नन्दीश्वर समुद्रके प्रक्षेप ( सातिरेक ) का प्रमाण इष्ट है । इससे अधस्तन स्थित नन्दीश्वर द्वीपका विस्तार १६३८४ लाख योजन है अत: १६३८४०००००x१०००००=१४७४५६०००००००००० योजन है जो ७२००० करोड़ योजनोंका दूना होता हुआ २०४८ गुना है यथा-७२००० करोड़ x २०४८=१४७४५६०००००००००० । तेरहवां-पक्ष अधस्तन द्वीप-समुद्रोंके पिण्डफल एवं प्रक्षेपभूत क्षेत्रफलसे उपरिम द्वीप या समुद्रका क्षेत्रफल कितना होता है ? उसे कहते हैंतेरसम-पक्खे अप्पबहुलं बतइस्सामोजबूबीवस्स खेत्तफलादो लवणभोरपिस्स खेत्तफलं घउवीस'-गुणं । जंबूद्वीप-सहिय-लवणसमुहस्सखेत्तफलादो धादईसंउदोवस्स खेस १. द. उणवीस ।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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