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________________ पंचमो महाहियारो अर्थ -- उनमें (चौगुनी से ) प्रतिरिक्त प्रमाण लाने के लिए यह गाथा - सूत्र है एक लाखसे भाजित अपने-अपने विस्तार मेंसे एक रूप कम करके शेषका अपनी-अपनी खण्ड-शलाकानों में भाग देनेपर अतिरिक्त संख्याका प्रमाण आता है ।। २६४ ॥ विशेषार्थ - गाथानुसार सूत्र इसप्रकार है गाथा : २६४ ] प्रक्षेप = प्रमाण । अतिरिक्त खण्ड-शलाकाएँ अथवा प्रक्षेप क्षेत्रको निज खण्ड-शलाकाएँ "निज विस्तार १००००० उदाहरण - मानलो-कालोद समुद्रकी ४ गुणित खण्ड-शलाकाओंसे अतिरिक्त खण्डशलाका (प्रक्षेप) का प्रमाण ज्ञात करना है। कालोद समुद्रका विस्तार ८ लाख यो० है । इसमें १ लाखका भाग देनेपर ८ प्राप्त होते हैं। मेंसे एक घटाकर जो शेष बचे उसका कालोदकी खण्ड-शलाकाओंके प्रमाणमें माग देनेपर प्रक्षेपका प्रमाण प्राप्त होता है । यथा ६७२ 500000 १००००० परिणत वृद्धि= ६७२ ७ १ स्वयम्भू रमाद्वीप के क्षेत्रफलमें जम्बूद्वीप सदृश खण्डोंकी संख्या । अथवा जम्बूद्वीप के क्षेत्रफलसे स्वयम्भूरमणद्वीप का क्षेत्रफल कितना गुना है ? उसका गाथा २६३ से सम्बन्धित सूत्रानुसार जग० स्वयम्भूरमणद्वीपका बादर क्षेत्रफल ३x + ३७५०० यो० । ५६ = (१०)१०[ ३x४{ =(१), - ९६ प्रक्षेप अथवा प्रतिरिक्त प्रमाण प्राप्त हो जाता है । ३× { जग० + ३७५०० - १००००० ) x ४४ ( जग० ) + ३७५०० ) ५६ ५६ (१०००००) - + ३७५०० ) - ६२५०० x ( जग० . x ( ५६ जग० X जग ५६×५६ जग० ५६ जग० ५६ [ ९१ ज० X ३७५००. ज० X ६२५००__ ५६ ५६ -+३७५०० } }] • ६२५०० × ३७५०० }]
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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