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गाथा : २६३ ] पंचमो महाहियारो
[ ८९ प्रर्थ-दसवें पक्षमें अल्पबहुत्व कहते हैं । वह इसप्रकार है-जम्बूद्वीपके बावर एवं सूक्ष्म क्षेत्रफलके बराबर लवण-समुद्रका क्षेत्रफल करनेपर वह उससे चौबीस-गुणा होता है २४ । लवणसमुद्र सम्बन्धी खण्ड-शलाकाओंको संख्यासे धातकीखण्डको खण्ड-शलाकाएं छह-गुणी हैं धातकीखण्डद्वीपको खण्डशलाकाओंसे कालोद-समुद्रकी खण्डशलाकाएं चार-गुणी होकर चान रूपोंसे अधिक हैं । पुन: इससे ऊपर तदनन्तर अधस्तन द्वीप या समुद्रसे अनन्तर उपरिम द्वीप या समुद्रकी खण्डशलाकाएँ चौगुनी हैं और इनके प्रक्षेपभूत छयानब उत्तरोत्तर स्वयम्भूरमरणसमुद्र पर्यन्त दुगुने-दुगुने होते गये हैं। विशेषार्प-धातकीखण्डका बादर क्षेत्रफल
३ [( 1328:००२ – ( ५००००० २ |
अथवा ३४३६०००००००००० वर्ग योजन । उसीका सूक्ष्म क्षेत्रफल
V. [ ( 3302010 )२ – ( ५००:०० )२ |
=vx३६०००००००००० वर्ग योजन । कालोदकका बादर क्षेत्रफल
-- ३ (१०) [ ( ३६ ) --- ( 23 )२ !
३ x (१०) x १६८०० वर्ग योजन । उसीका सूक्ष्म क्षेत्रफल
20.x(१०) [ (२६° ) - (१०)]
vx(१०४ १६८०० वर्ग योजन । पुष्करवर द्वीपका बादर क्षेत्रफल
=३ (५०) [ ( ६० )२ .-- ( २६° )]
=३४७२००००००००००० वर्ग योजन । उसीका सूक्ष्मक्षेत्रफल
17.(१०) [ ( १५° } — ( २६० )२ ]
= 17.x(१०) [ ७२००० ] वर्ग योजन । जम्बूद्वीपके सूक्ष्म क्षेत्रफल १.४ (१०).x(२५) वर्ग योजनसे लवणसमुद्रका सूक्ष्मक्षेत्रफल 10x (१०) (६००) वर्ग योजन २४ गुणा है !