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________________ ५५ ] तिलोयपण्णती [ गाथा : २६३ इसीप्रकार [ उपर्युक्त सूत्रानुसार ] स्वयम्भूरमाणसमुद्र में .... ३ x ( जग०+७५०००-१००००० )४४४ (जग० +७५००० ) वणित ---- (१०००००) -- ३४ जग० x ४(जग० +७५०००) +३४ (-२५०००)x४(जग० +७५०००) ---- -. --- (१०)१० " . _३ (जग० x जम०), ३ जग०४७५००० ३ जग०४ २५०००.. ४x७५००० --३X२५०००x. १९६४ (१०) ७४(१०)१०७ ४ (१०)." ३ (जग.x जग.) १९६४ (१०). ० _३ जग०-७५०००-२५०००)---२ -२५०%94-9. ७X( 10(७५०००-२५०००)---२०१२५००० ४७५००० १०००००x१००००० - ३ (जगजग) + ३ जग०४५०९९०...-योजन । _ ३ (जग० x जग०) + ३ जगच्छु णो ... कोस । ३६ १९६०००००००००० १४००००० ३-जग०२ १९६०००००००००० ३ जग. --कोस । १४००००० दसवाँ-पक्ष । अधस्तन द्वीप या समुद्रसे उपरिम द्वीप या समुद्रकी खण्ड-शलाकाएं चौगुनी हैं और प्रक्षेपभूत ९६ उत्तरोत्तर दुगने-दुगुने होते गये हैंदसम-पक्खे अप्पबहुलं बचइस्सामो । तं जहा--जंबूवीवस्स बादर-मुहम-क्खेतफल-प्पमाणेण लक्षणसमुदस्स खेतफलं किज्जतं चउचीस-गुण-प्पमाणं होदि २४ । लवणसमुहस्स खंड-सलागाणं संखादो धादइसंडस्स खंड-सलागा छन्गुणं होदि । धावसंडस्सखंड-सलागादो कालोदग-समुद्दस्स खंड-सलागा चउ-गुरणं होऊण' छण्णउदि-हवेगभडियं होवि तत्तो उवरिम-तवणंतर-हेटिम-दीव-उवहीवो अणंतरोपरिम-दीवस्स उबहिस्स पा खंडसलागा चउग्गुणं-घउग्गुणं पक्खेव-मूव-छण्णउदी युगुण-गणं होऊण गच्छह जाव सयंमूरमण-समुद्दो ति ॥ १. द. होदिकण।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
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