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गाथा : २६३ ]
पंचमो महाहियारो
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१९६०००००००००० घण खेत १४००००० रिण कोसाणि ६ ।।
अर्थ- उनमें से अन्तिम विकल्प कहते हैं-जगन्छ णीके वर्गको तिगुना करके उसमें एक नाख छचान_ हजार करोड़ रूपोंका भाग देनेपर जो लब्ध प्राप्त हो उतना और तिगुनी जगच्छ्रेणी में चौदह लाखका भाग देनेपर प्राप्त हुए लब्ध प्रमाणसे अधिक तथा नौ कोस कम है। उसकी स्थापना इसप्रकार है
। ( जग० x जग० x ३) १९६०००००००००० ] + [ { (जग. x ३) १४०४००० –९ को०]
तथ्यड्ढोणं आणयण-हेदु इमं गाहा-सुत्तं
लक्खूण-इट्ट-रुदं, ति-गुणं ५ उमाद-इष्ट मासपुर्ण
लक्खस्स कविम्मि हिवे, जंबूदोबोवमा खंडा ।।२६३॥ अर्थ-उस वृद्धिको प्राप्त करने हेतु यह गाथा-सूत्र है
एक लाख कम इष्ट द्वीप या समुद्रके विस्तारको तिगुना करके फिर उसे चौगुने अपने विस्तारसे गुणा करनेपर जो राशि उत्पन्न हो उसमें एक लाखके वर्गका भाग-देनेपर जम्बूद्वीप सदृश खण्डोंकी संख्या प्राप्त होती है ।। २६३ ॥
विशेषार्थ ---गाथानुसार सूत्र इसप्रकार है
___ इष्टद्वीप या समुद्रमें जम्बूद्वीप सदृश खण्डोंकी संख्या अथवा
वरिणत क्षेत्रफलमें वृद्धिका प्रमाण ... --३ x ( इष्ट द्वीप या समुद्रका विस्तार-१००००० ) x ४ x ( उसका विस्तार )
(१००००० )२ उदाहरण-मानलो–यहाँ वारुणीवर समुद्र इष्ट है और उसका विस्तार १२८ लाख योजन है, इसमें जम्बूद्वीप सदृश खपडोंको संख्या__३४ ( १२८००००० - १७७००० )xxx ( १२८०००००)
(१०००००)२ --३४१२७०००००x४ x १२८०००००
१०००००x१०००००
=१२४१२७४ १२८ = १६५०७२ खण्ड होते हैं।