SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 133
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गाथा : २४९-२४९ ] पंचमो महाहियारो [ ६५ शेषवृद्धि =२ (इष्ट द्वीप या समुद्रका व्यास)-(४ x इष्ट द्वीप या समुद्र का व्यास + उसकी आदि सूची) _२४ (इष्टद्वीप या समुद्र का व्यास) - (उसकी आदि सूची) उदाहरण-यहाँ पुष्ट दादीप विक्षिन है अतः उसकी विस्तार वृद्धिका प्रमाण निकालना है ! पुष्करवरद्वीपका व्यास १६ लाख योजन तथा उसको आदि सूची २६ लाख योजन है, अतएव यहांशेषवृद्धि =( २४ १६ लाख यो०)--(४४ १६ ला० यो० + २९ ला० यो० प्रादि सूची) = ३२ लाख यो० – ६३ ला० यो =३२ लाख यो० - ३१ लाख यो १ लाख योजन शेष बुद्धि । ( २ ) इष्ट द्वीप या समुद्रको अधं आदिम सूची प्राप्त करने की विधि इट्ठस्स वीवस्स वा सायरस्स वा प्रादिम-सूइस्सद्ध लक्षद्ध-संजुदस्स प्राणयण-हेदुमिमा सुस-गाहाइच्छिय दोबहीणं,' रुदं दो-लख-विरहिवं मिलिदं । बाहिर-सइम्मि तदो, पंच-हिवं तत्थ जं लद्ध॥२४॥ आदिम-सूइस्सद्ध, लक्खद्ध-जुदं हवेदि इट्ठस्स । एवं लवणसमुह - [पहुदि प्राणेज्ज अंतो त्ति ॥२४६।। अर्थ-विवक्षित द्वीप अथवा समुद्रकी अर्ध-लाख योजनोंसे संयुक्त अर्ध आदिम सूची प्राप्त करने हेतु ये सूत्र-गाथाएं हैं इच्छित द्वीप-समुद्रोंके विस्तारमेंसे दो लाख कम करके शेषको बाह्य सूचीमें मिलाकर पाँचका भाग देनेपर जो लब्ध प्राप्त हो, उतना अर्ध-लाख सहित इष्ट द्वीप अथवा समुद्रकी अर्ध. आदिम सूचीका प्रमाण होता है। इसीप्रकार लवरणसमुद्रसे लेकर अन्तिम समुद्र पर्यन्त ( सूची प्रमाणको ) लाना चाहिए ।। २४५-२४१ ।। विशेषार्थ-उपर्युक्त गाथासे सम्बन्धित सूत्र इसप्रकार है-अर्ध लाख यो +इष्ट द्वीप समुद्रकी अर्ध आदि सूची-५०००० योजन+आदिम सूची १. द. दीदावहीणं, ब. क. ज, दीवोबहीणं ।
SR No.090506
Book TitleTiloypannatti Part 3
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages736
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy