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गाथा : १९८- २०१ ]
विशेषार्थ
प्रासाद
पचमो महाहियारो
राजांगरण के मध्य स्थित प्रमुख प्रासाद का १ले, २ रे मण्डलों में स्थित प्रासादों का ३ र ४ थे मण्डलों में स्थित प्रासादों व ५, ६ ठे मण्डलोंमें स्थित प्रासादों का
विस्तार
१२५ कोस
१२५ को
६२३ कोस
३१३ कोस
प्रासादोंके आश्रित स्थित वेदियों की ऊँचाई आदि बे-को सुच्छेहाम्रो, पंच-सर्याणि धपूणि वित्थिष्णा | आदिल्लया, पहले विविधता
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ऊँचाई
२५० कोस
२५० कोस
१२५ कोस
६२१ कोस
६८ ॥
अर्थ- प्रमुख प्रासाद के आश्रित जो बेदी है यह दो कोस ऊँची और पाँवसी ( ५०० ) धनुष विस्तीर्ण है । प्रथम और द्वितीय मण्डल में स्थित प्रासादोंकी वेदियों भी इतनी हो ऊँचाई प्रादि सहित] ( २ को ऊँची और ५०० धनुष विस्तीर्ण ) हैं ।। १९८ ।।
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पुल्लि - बेदि अद्ध ं तदिए तुरियम्मि होंति मंडलए । पमारण वेदीओ ॥१६६॥
पंचमए छुट्टीए तस्सद्ध
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[ ४७
अर्थ-तृतीय और चतुर्थ मण्डल के प्रामादों की वेदिका की ऊँचाई एवं विस्तार का प्रमाण पूर्वोक्त वेदियों के प्रमाण से आधा अर्थात् ऊँचाई १ कोस तथा विस्तार २५० धनुष है और इससे भी आधा अर्थात् ऊँचाई कोस और विस्तार १२५ धनुष प्रमारण पाँचवें तथा छठे मण्डलके प्रासादों की वेदिकाओं का है ।। १९९ ।।
सर्व भवनों का एकत्र प्रमाण
गुण-संकलण' -सरूवं, ठिवाण भवणाण होदि परिसंखा ।
पंच सहस्सा च सय संजुत्ता एक्क सट्ठी य ॥ २०० ॥
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नींव
२ कोरा ।
२ कोस
५४६१ ।
- गुणित क्रमसे स्थित इन मत्र भवनोंकी संख्या पाँच हजार चार सौ इकसठ {१+४+१६+६४+२५६+१०२४+४०६६ = ५४६१ ) है || २०० ॥
सुधर्म सभा की अवस्थिति और उसका विस्तार आदि
श्रादिम-पासादादो, उत्तर भागे द्विदा सुधम्म-सभा |
दलित- पणुवीस जोयण दीहा तस्सद्ध वित्थारा ॥ २०१ ॥
२३५ । १५ ।
१. ब. ब. क. ज. संकरण । २. ब. चउस्सय । ३. द. पासादो ।
१ कोस
कोस