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TE : तिहदेवपत्ती CAREEगापा-३७-१११ :-वहाँ समभूमिभागमें विविधरस्नों एवं स्वर्णसे निर्मित वनमय कपाटों तया चार तोरण एवं वेदिकाले युक्त प्रासाद है ॥२०६।।
एथेसु मंदिरेलु, होति विसा - कलयाओ देवोमो ।
बहु - परिचारामुगवा', विश्वम - लागण - हवाप्रो ॥२०७।।
पर्व:-इन प्रासादोंमें बहुत परिवारसे युक्त मोर अनुपम लावण्य-रूपको शप्त दिक्कम्या देवियों ( रहती ) है ।।२०७।।
कमलाकार फूट प्रादिका वर्णनपरम - वहाबु दिसाए, पुवाए थोष • भूमिमम्मि ।
गंगा - गईन मरके, उभासवि पड़म - मिहो तो ॥२०॥
अपं:--पदहसे पूर्व दिशामें थोड़ोसी भूमिपर मंगा नदीके यौबमें कमप्लके सष्टमा कूट प्रभातमान है ॥२०॥
. वियसिय • कमलायारो, रम्मो देवलिय-बाल-संवृत्तो।
सस्स बला 'भाइरता, पत्तक्कं कोस • दलमेत ॥२०॥
म :-खिले हुए कमलके आकारवाला वह रमरणीय कूट वैदूर्य (मणि)की नाससे संयुक्त है। उसके पत्ते भत्यन्त लाल है। उनमेंसे प्रत्येकका विस्तार अर्ष () कोस प्रमाण है ॥२०॥
सलिला तु बरि उडओ, एक कोर्स हवेवि एक्स्स ।
वो फोसा विस्यारो, चामीयर - केसरहिं संजुत्तो ॥२१॥
पर्व:--पानौसे ऊपर इसकी ऊंचाई एक कोस तथा विस्तार दो कोस है । यह कमल स्वर्गमय परागसे संयुक्त है ॥२१०।।
इणि - कोसोवय • इंदो, रयणमई तस्स कग्गिया होदि। तोए उबार बेटुवि, पासादो मणिमओ विव्यों ॥२१॥
१.क.मदा। २.प. य... . य.. पाहतो
... ज... दिम्बा