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गामा : २०२-२०६ ] उत्यो महाहियारो
[. म:-गंगा नदीके मिर्गम स्थानमें नो योजन और डेढ़ कोस प्रोत् १. योजन ऊंचा दिव्य तोरण है ।२०१॥
तोरण-स्थित
जिला A TREERTAN ENTRE
चामर • घंटा - विकिणि-बंग-मालासएहि' कयसोहा । भिगार - कलस - बप्पण - पूजण - दव्वेहि रमणिज्जा ॥२०२॥ रमणमय-धंभ-जोनिव-विचित्त-दर-सालभंजिया' रम्मा । बग्जिवणीस - मरगय • कपकेयण • परामराय - अदा ।।२०३।। ससिकत - सरकत • यमुह -'मयूखेहि जातिय तमोधा । संबंत'- करण्यदामा', अणादि • णिहणा 'अणुबमाणा ।।२०४।। छत्त-तयादि-सहिदा, बर रयणमईयो फुरिष-किरणोघा ।
सुर-खेयर-महिवाओ, जिण-पडिमा तोरणुरि निवसति ।।२०५॥
भर्ष:-इस दोरणपर चामर, घण्टा, किंकिणी (शुद्ध घण्टिका ) मोर सैकड़ों वन्दनमालाओंसे शोभायमान; भारी, फलणा, दपंग तया पूजा-नव्योंसे रमणीय; रत्नभय स्तम्भोंपर नियोजित विचित्र मोर उत्तम पुप्तलिकाओंसे सुन्दर; वन, इन्द्रनील, मरकत, कतन एवं पपराग मणियोंसे युक्त; चन्द्रकान्त, सूर्यकान्त प्रमुख मणियोंको किरणोंसे अंधकार समूहको नष्ट करनेवाली लटकती हई स्वर्णमालामोसे सुशोभित, अनादि-निधन, अनुपम, छत्र-वयादि सहित, उत्सम रत्नमय, प्रकाशमान किरणोंके समूहसे मुक्त और देवों एवं विद्याधरोंसे पूजित जिनप्रतिमाएं विराजमान है ॥२०२-२०५।।
प्रासाद एवं दिवकन्या देवियाँतम्हि सम-भूमि-भागे, पासावा विविह-रयच-कषायमया । वज - कवादेहि जुरा, बड़ - तोरण - वेरिया • जुत्ता ॥२०॥
१.प.ब.क.प. य. ३. मानासहे।। 4. उ. मसहित ४..ब.क. न . मगर। अणुषमागो।
२. ब. ब. क. ३. सातविकारम्मो।
क. प. उ. करणमामो।
३. प. ब... ... य. 3,