SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 821
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ' :. . .:. ७१४ ] तिलोयपणासी [ गापा : २६५३-२९५५ :-बार, सह, पाच, शून्य, वह सोन मोर एक, इस अंक कमसे जो संध्या उत्पन्न हो उतने योजन मोर मानव-माग पुषिक मुखाबा-पत्रिकटनम लामक मार-पर्वतकी मम्मम सम्बाई (१९०५६४ पो) है ॥२२॥ ( १३६१५१९ - १५४88-१३६.५६४. यो । दोनों पर्वतोंको अन्तिम और दो देशोंको साविम सम्बाईरणव-पभ-अण्णव-पप-तिय-एमका साहसीमि-हिय-सर्व । बो- बाजार - कु- पिजए, तिल्लादिल्ल. बीहरी ।।२६५३॥ १३५१६०१६। ई:-नो, शून्य. छड, नी, पांच, तीन और एक, इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन मौर एफसी मठासी माग प्रषिक दोनों वक्षारों तथा सरिता एवं सत्रा नामक दो देशोंकी क्रमशः अन्तिम और भादिम लम्बाईका प्रमाए ( १३५६६. यो) है ॥२९५३॥ १३६.६ - ४१-१३५९६० यो० । दोनों देशों की मध्यम लम्बाई-- इगि-छा-मामा-रणाम-पन-तिय-एकता सयं च बत्तीसं । सरिसाए' बप्प • बिए पोषक मामा - बोहत ॥२६५४।। १३५०१११ । । वर्ष:-एक, बहा एक, शून्य, पांच, तीन, और एक इस अंक क्रमसे सो संस्था उत्पन्न हो सनाने योजनमोर एकसो नसीस माग अधिक सरिता एवं वप्रा देशों में से प्रत्येक को मध्यम लम्बाई ( ०१६ यो०) है ।२६५४॥ १३५६६ - mark=१३५० १६१६१५ यो । दोनों देशोंको अन्तिम पौर वारण्य-भूतारण्यको प्राविम लम्बाईतिय-दगि-सम-बम-बान-तिम्-एक्सा बहसरी होति । गो - बिजए तिल, गाविस वेव - भूगरम्बार्ग' ॥२६५५॥ १२४.७१३ I I १. प... क. ब. उ. सजिमाए । २. व. . क. ब. स. रस्याए।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy