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गाषा : २९५०-२६५२ ] परस्थो महाहियारो
[ ॥ प्र:-पांच, एक, पार, शुन्य, पाठ, तीन और एक, इस क्रमसे डो संख्या निर्मित हो उतने योजन और एकसौ सोलह माग अधिक दोनों विर्भग-नदियोंको अन्तिम भोर कुमुदा एवं सुवप्रा नामक दो देशोंकी आदिम लम्बाई (१३८०४ यो०) है ॥२९४९।। १३८०६५४६- २३८२ -१३८०४१५११५ यो ।
दोनों देशोंको मध्यम लम्बाईसग-ष्णव-भ-सग-तिय-एक्कं मंसा य सहि परिमार्ग। मझिम - पवेस - बोहं. कुमुगए सुबप्प - बिजम्मि ।।२९५०॥
१३७०६६७ । । मर्ष:-सास, छह, नौ, शन्य, सात तीन मोर एक, इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन मोर साठ भाग प्रमाए कुमुदा एवं सुवप्रा क्षेत्रके मध्य-प्रदेशकी लम्बाई (१५७०९६७३.यो.) है ।।२६५०।। १३८७४१
३ २ को दोषों क्षेत्रोंको अन्तिम और दो वक्षार-पर्वतोंकी भादिम लम्बाईणव-एक-पंच-एक, छतिय - एक्का तहेब पाउ-सा। हो • विजय -दु-मजारे, मंतिम्लाविल्ल • वीहत २६५१॥
१३६१५१६ 11 प्रबं:-नो, एक, पांच, एक, ग्रह, तीन पोर एक, इस अंक कमसे जो संस्था निर्मित हो। उत्तने योजन और पार भाग अधिक दोनों क्षेत्रों तथा सुखावह एवं त्रिकूट नामक दो वक्षार-पतोंकी क्रमस: अन्तिम प्रौर प्रादिम सम्बाईका प्रमाण (१३५१५१रयो. ) है ॥२६॥ १३७०९६७१- t ६१५१६ यो ।
दोनों वार-पर्वतोंकी मध्यम सम्बाईपर-छपक-पंच-पम-त्तिय-एसकसा तहेब बसपी । मग्झिरलय - दोहरी, सुहाहे तह तिरे य ॥२६१२॥
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