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________________ ७८४ ] तितोवपत्ती [ गाया : २९२४-२६२४ वर्ग:-कम्बादिक क्षेत्रों की बाधिम, मध्यम और पन्तिम सम्बाईसे विजयाके विस्तार को घटाकर शेषको मात्रा करनेपर इच्छित क्षेत्रों की लम्बाईका प्रमाण प्राप्त होता है ।।२१२३॥ पमा देशसे मंगलावती देश पर्यन्तको सूचीका प्रमाण प्राप्त करने की विधि सोहसु मजिना - सूबर, मेहगिरि पण शालाल-वर्ष !: re: सा बर्ष पम्माषी, परियंस मंगसाबविए ।।२६२४॥ भ:-पुष्कराधको माध्यम सूची से मेरु-पर्वत और दुगुने भनमालवनके निस्तारको घटा नेपर जो शेष रहे उतना मंगलवतीसे पपादि देश पर्यन्त सूचीका प्रमाण है ।।२६२४।। बिवा :-उपयुक्त मानानुसार सूची व्यास इसप्रकार है-पुकरा दीपका मध्यम सूची न्यास ३७ लाख योजन. मेरु विस्तार ६०० योजन तथा भवशालका दुगुना विस्तार (२१५७१८४२) -४३१५१६ योजन है अतः ३७.०००० - (६४०० + ४३१५१६)१२४६०४ योजन है। कि सूची शासके इस प्रमाग को, इसकी परिधिक प्रभाएको, विह क्षेत्रको सम्बाई प्राप्त करने की रिषि एवं विषह क्षेत्रको लम्बाईक प्रमाणको प्रदचित करनेवाली ४ गाथाएँ सूटी हुई झात होती है। जिनका गणित निम्न प्रकार है महासे मंगमावती पर्यन्तकी सूचीका प्रभाग-३५. यो है। इसकी परिधिका प्रमाण-३२५६०८४१x१=१०३०६१२९ पोजन है। विदेह क्षेत्रको लम्बाई .. ( परिमि – पर्वतरुट क्षेत्र ) x ६४ - (१०३०६१२६ – ३५५६६४ ) ४४ __(Rumiixv=10018यो । २१२ पपा एवं मंगलायती क्षेत्रकी आदिम लम्बाई तिवय-पण नव-स-भ-पम-एक्कासापरतरंगु-सपं । क-कामे दोह', प्राविल्स - प्परम • मंगतावपिए ॥२९२५॥ १५०० । । २१२ 1.4..... fifeel १......स. राबवणमपएसकता।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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