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________________ . गारा : २९२६-२९२७] पत्यो महाहियारो [ ७५ :--तीन, पाच, गो, शून्य, वान्य, पांच भोर एक, इस बंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने पोजन और बोसो पार भाग अधिक पमा तथा मंगलाबतीक्षेनकी बादिम सम्माईका (१५०७६५३ योजन ) प्रमाण है ।।२६२।। विशेषावं :-पमा और मंगलावती देशोंको सम्बाई ...विदेहकी लम्बाई - सीतोदाका विस्तार - ३०० ३६08# - २००० यो... ३०.१६०७१ =१५.०९५३३१० योजन है। दोनों क्षेत्रोंकी मध्यम अभ्याईपण-पम-पण-हगि-नव-चउ-एक्कं संसा सयं च प्रवास । मरिमालय - दोहर, पम्माए मंगलावविए ॥२९२६।। १४९१५०५ । । प्र:-पांच, गून्य, पौष, एक, नी, चार और एक, इस अंक कमसे जो संख्या उत्पन्न हो उसने योजन और एकसौ पड़तालीस भाग अधिक पमा एवं मंगलावती क्षेत्रको मध्यम सम्बाई ( १४६१५.५३ यो• ) है ॥२६२६।। १५००६५N -- twitt= १४९१५०५१ योजन । दोनों क्षेत्रोंको अन्तिम मौर दो वक्षार-पर्वतोंकी आदिम लम्बाईसग-पम-पम-युग-अर-घउ-एक सा कमेण माणउनी । दो - विजयाचं प्रत, 'वहार - गपाण माविल्लं ।।२९२७॥ १४५२०५७ । । वर्ष:- सात, पाच, शून्य, दो, पाठ, पार और एक, इस अंक क्रमसे जो संभ्या उत्पन्न हो उसने योजन और मानवे भाग मधिक दोनों क्षेत्रोंको अन्तिम एवं श्रद्धावान् मोर मामाचनमक्षारपर्वतोंकी आदिम सम्बाई (१४८२०५७१यो) है ||२६२७॥ १४६१५1 -mark=१४२०५७१ यो। १. ब. सारण।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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