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मामा : २६२०-२९२५ ] उत्पो महाहियारो
[ ४३ .देवारण्य-भूतारण्यको माम्पम लम्बाई- . . तिय-गव-बसग-पर-अमनो चिय मंसा समयम। भंगिमल्लय - बहिरा, परोपका वेष • 'मूबरन्गागं ।।२६२०॥ २०६७६६३ ।
। :-तीन, नौ,'छह, सात, पाठ, शून्य और दो, इस अंक कमसे जी संख्या उत्पन्न हो उतने योजन और एकसौ छप्पन भाग अधिक देगारण्य एवं भूतारण्यर्मेसे प्रत्येकको मध्यम लम्बाई (२.८७६६३१ यो० ) है ।।२६२०॥ २०६२११४१४+ ५५७८३-२४८७६६३ यो ।
देवारण्य-भूतारण्यको अन्तिम लाई सुसि PAN बो-सग युग-सिग-णव-गभ-धो विषय सा सयंच अग्योस। परोक तिल्लं. दोहन रेव - भूबरला,२६२१॥
२०१३२७२ । । प्र:-दो. सास, दो, तीन, नो, शून्य और दो इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन्न हो उतने योजन पोर एकसो अट्ठाईस भाग मधिक देवारभ्य एवं भूतारम्प में से प्रत्येक पन्तिम लम्बाईका प्रमाण ( २०९३२५२ योजन ] है ।।२९२१।।
२०६७६६३३१५५७ -२०६३२७२१ यो ।
अन्य क्षेत्रादिकोंको लम्बाईका प्रमाण ज्ञात करनेकी विधिकच्छादि - पमुहाचं तिविह - वियप्पं निषिवं सम् ।
विषयाए मंगलापति - पमुहाए तं च बत्तव्यं ।।२९२२॥
पर्व :-कम्मादिकोंकी तीन प्रकारकी लम्बाईका सम्पूर्ण कथन किया जा चुका है । पर मंगलावती-प्रमुख क्षेत्रादिकोंको लम्बाईका प्रमाण पतलाया जाता है ।।२९२२॥
. बाविसु विषयाम माविम-मस्मिल्ल-परिम-चोहतां । विजयड़क - हंसमरिणय, अब-कदे इच्छिाहरूस वीहतं ।।२९२३॥
-.. - -.१.क.क.उ. रलाए । २ प..क. रस्याए।