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________________ Fert : . IN THE औ साल ७५४ ] तिलोयपम्पत्ती [गाया । २८०७-२८०० विवा.-1(४५०२०ixto- ४१०८०८०४५ ०७६४६१. २१००६६]:-१५७२३५७७२७२५१० योजन । यपार्षमें यहाँपर वर्गमूसका प्रमाण ११०२३५७७२७२५०१ योजन हो है पोर १०४७८०४०३१७१४२९ शेष बचते हैं । जो मागहारके अभागसे अधिक है प्रतः ९ अंको स्थानपर १ प्रहण किए गये है। वलयाकार क्षेत्रका क्षेत्रफल निकालने का विधानहुगुणाए सूचीए, बोसु चासो विसोहिल्स करो। सोम्झस्स बउम्भागं, रम्गिय गुणिर्य व वस - गुर्ण मूलं ॥२०॥ धर्म :-दुगुणित वापसूची व्यासमेंसे दोनों ओरके व्यासको पटाकर जो शेष रहे उसके वर्गको शोध्य राधिके पतुपं भागके वर्गसे गुणित करके पुनः दससे गुणाकर वयंमूल निकामनेपर [ पलपाकार क्षेत्रका क्षेत्रफल आता है ।।२८०७।। मानुषोत्तर पर्वतका सूक्ष्म क्षेत्रफलसच-सा-नव-सरोका, छक-पटक-पंच-पर-एक्कं । मां-बमे बोपनया, पलिय - पलं मागत्तर-गिरिस ।।२८०८॥ Tri४६६१९०७। म :- मानुषोत्तर-पर्वतका क्षेत्रफल सात, शूम्य, नौ, साप्त, एक, सह, छह, पार, पाच, चार और एक, इस अंक क्रमसे जो संख्या उत्पन हो उतने (१४५४६६१९०७) योजन प्रमाण है।३२८०६) ५.२०४४२)-(१०२२४२)x{ RAr fixt-पर्थात् १८१०३६७६६१७७६३६ ४२६११२१४१०= पर्थात् २१११०४०१२५४४४१२६२५६० = ४६६३७९.७ योन्जन, २ कोस, २७१ अनुष, ३ हार, गुन, नो,.६५ और RATARN नोक प्रमाण मानुषोत्तर पर्वतका क्षेत्रफल है।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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