SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 780
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गामा : २०४-२८०६ ] पउत्थो महाहियारो [ ४५३ विरोधार्य :-मामुषोत्तर पर्वतका सासमन्त्री ग्यास MAYA योजनामको परिधि /४५०२०४१४१०-१४२३६७१३ योजन, १३३० धनुष, १ झाप, १० अंगुल, ५ो, . , २ लीक, कर्मभूमिके नाल ४ जपन्य मो के बाल, ५ मध्यम भो के बाल पौर उत्तम भो• के बाल प्रमाण है। मानुषोतर पर्वतके प्रभ्यन्तर सूची ध्यास और परिधिका प्रमाणपरवाल-लक्ष-संखा, सर्व अग्भंतरम्मि भागम्मि । खपवर-पु-ब-सिय-दो-चल-इगि-अंक-कमेणेग परिहि-जोयगया ॥२९०४।। ४५००००० । १४२३०२४६ । :-मभ्यन्तरभागमें इस पर्वतको सूची पंतालीस लाख (४५००००.) योजन है पौर परिधि मौ बार, यो, शून्य, तीन, दो, चार और एक, इस अंक-क्रमसे जो संस्था उत्पन्न हो उतने योजन प्रमाण है ।।२८०४॥ V४५०००००' x १०-१४२३०२४६ योजन परिधि है और १३३९७६६५ वर्ग योजन अवशेष रहे जो छोड़ दिए गये हैं। समवृत्त क्षेत्रका क्षेत्रफल निकालनेका विधानसूचीए कबिए कपि, बस-गुण-मूलं चलख घउ-भगि। सम - पट्ट - वसुमईए, हवेवि सं सुहम - संतफलं ॥२८०५।। अपं:-सूचीके वर्गके वर्गको उससे गुणा करके उसके वर्गमूलमें चारका भाग देनेफर जो लब्ध प्राप्त हो उतना समान गोल क्षेत्रका सूक्ष्म क्षेत्रफल होता है ।।२८०५॥ मानुषोत्तर पतिके क्षेत्रफल सहित मनुष्य सोकका सूक्ष्म क्षेत्रफलकम-एपमा-पंच-बुग-सग-युग-सग-सग-पंच-ति-दु-न-कावका । अंक - कमे खेतफलं, मणस - जगे सेल - फल - परी ॥२८०६।। १६.२३५५७२७२५१२ । मर्थ :-मानुपोत्तर पर्नसके क्षेत्रफल सहित मनुष्यालोकका क्षेत्रफल शून्य, एक, पाप, दो, सात, दो, सास, सात, पांच, तीन, वो, शून्य, कह पोर एक, इस अंक-कमसे को संख्या उत्पन्न हो उतने (१९०२३५७७२७२५१.) पोजन प्रमाण है ॥२८०11 ,
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy