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________________ गाषा : १७५-१७८ ] पायो मायारोमा igiNTEERNAEE बो-कोर्स' उम्मेलो, पन - सय - 'बाबप्पमान - हो। पण • घेवी - यारो', तोरम • दारेहि संनुता ।।१७।। म: तोरण द्वारोंसे संयुक्त वन-वेदोका आकार वो कोस ऊंचा तथा पाँचसो धनुष प्रमाण विस्तारवाला है ।।१७।। धरियट्टालय - थारू, णाणायिह अंत - लक्स संपन्ना । विषिह-पर-रपण सचिवा, गिरुषम • सोहाओ वेदीओ ।।१७।। अर्थ:-विशाल भवनों और मार्गोसे सुन्दर, अनेक प्रकारके लाखों यंत्रोंसे ब्याप्त, विविधरनोंसे खचित उन वेदियोंकी शोभा अनुपम है ।।१७६।। सव्वेसु उबवणे, वेतर - देशण होति वर-गपरा । पायार - गोउर • बुबा, जिण-भवण विमूसिया विचला १७७॥ पर्व:-इन सब उपवनोंमें प्राकार और गोमुरों युक्त तथा जिनभवनोंसे विभूषित पन्तरदेवोंके विशाल उत्कृष्ट नगर हैं ॥१७७।। विजयाघको गुफाओंका वर्णनरजद-पगे दोहि गुहा, पन्नासा मोयणागि बीहाओ । अटुं अभिवाओ, बारस - विक्वंभ- संकुत्ता ॥१७॥ ५.१८।१२। मय:-रजत पर्वत अर्यात् विजयामें पचास पोजम सम्बी, आठ योजन ऊंची और बारह पोजन विस्तारसे युक्त दो गुफाएं हैं ।।१७८|| ...रो कोम बिस्वामी। ब. म. , दोको बिस्वा । क. दो चोदि उन्हो। प, हो। कोसो निस्वारो। २. ब. ब. स. पाबा पमाणको । क. न. म. पामा पारण दामो। ३. ... ..त. पायारो होति ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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