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________________ ..] तिलीयपणतो [ गापा : १७६-१२ अबरार' तिमिसगुहा, 'खंम्पबारा विसाए पुयाए । पर-बन-कबाड' अवा, अनादि - णिहणाम्रो सोहति ||१vel तामनगुफा और पूर्व दिशामें खाराप्रपात गुफा है। उत्तम बसमय कपाटोसे युक्त ये दोनों अनादि-निमन गुफाएँ शोभायमान है ।।१७६ ।। नमस-कब दिया, होलित छम्जोयनाणि दिस्यिया । अच्छेहा शेतु नि, गुहास वाराण' पत्तेमकं ।। १०|| ६। । :-दोनों हो गुफामाम द्वारों के दिव्य युगल कपाटोमैसे प्रत्येक कपाट मह योजन विस्तीर्ण और आठ योजन ऊंचा है ॥१०॥ दक्षिण और उत्तर भरतका विस्तारपण्णास - जोपणाणि, वेयः - णगस्स मूल - बित्वारो। तं भरहायो 'सोधिय, सेसद्ध वक्लिनर' तु ॥१८॥ दुसया अहवोस, तिणि कलाओ य परिक्षणवम्मि। तस्स सरिच्छ - पमाणो, उत्तर - भरहो हि नियमेन ॥१२॥ २३८ । । पर्ष :-विजया पर्वतका विस्तार मूसमें पचास योजन है। इसे भरतक्षेत्र विस्तारसे कम करके शेषका माधा करनेपर दक्षिण ( अ ) भरतका विस्तार निकल जाता है। वह दक्षिण भरतका विस्तार दोसी अड़तीस योजन और एक योजनके उन्नीस मार्गो से तीन भाग प्रमाण है। नियमसे इसीके सदृश विस्तारवाला उत्तर भरत भी है ।।१८१-१८२॥ - - -. .. .--- ...... ज. स. पारधारा, अवधारा। २.१.ब.क, ज. उ. संदपाला, य. बंद पादाला। ३...... उ. कबामहि, य, कामादि। ४. प. य. व. लिहणादि। ... मपम सिटामों। नं. प्रदुम सदाभो । क. पक्यच विद्वान । ज. प्रदेशव विटाभो। ६. अपय सवायो। ५. मन मियामों। ६,...क.अ.प. उ. दारागि। ७...ब.क.अ.य. उ. सोषय 1 ....दि।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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