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________________ पापा : २७०१-२७१२ ] पउत्थो महाहियारो [ ७२७ पचासे मंगलावतो वेश तकको सूचोया प्रमाण प्राप्त करने की विधिसोहसु महिम - सूई, मेवगिरि दुगुण-भद्दसास-वणं । सा' सर्व पम्मादो • परियंतं मंगलावदिए ॥२७.६।। मर्ग:-शातकी खण्डकी मध्यसूची मेंसे मेरुपर्वत और दुगुने भद्रशाल-वनके विस्तारको घटा देनेपर जो शेष बचे वह एपासे मंगलावती देश तकको सूची होतो है ॥२७०६॥ १००००० - {80. + ( १०७८७६x२ } }=६७४८४२: योजन मूवी । सूची एवं परिधिका प्रमाणदो-घड-अर-घर-सग • छज्जोयणपाणि कमेन तं वागं । बस-गुण-मूल परिही, अड- तिराम चज-ति-पाय Hari - सूई १७४८४२ 1 परि २.३४०३८ । म:-दो, पार, पाठ, पार, सात और यह, इस अंक कमसे जो संम्पा उत्पन्न हो उतने (६७४८४२) योजन सूची है । इस सूची-प्रमाणका वर्ग करके उसको इससे गुणा करनेपर जो प्राप्त हो उसका वर्गमूल निकालने पर घातकोखण्डको उपयुक्त मध्यमा सूचीको परिधिका प्रमाण होता है, जो क्रमश: पाठ, तीन, शून्य, पार. तोन एक और दो अंक रूप (२१३४०३८ यो०) है ।।२७१।। १६७४८४२' x १०=(कुछ कम ) २१३४०३८ पोजन परिधि । विदेह क्षेत्रको लम्बाईसेल - पिसुद्धो परिहो, परसटोहिं गुरोध प्रवसेसं । बारस - ओ - सम • भविदे, जलबतं विवेह-नोहतं ।।२७११॥ :-इस परिधिप्रमाणमेंसे पवंसरुव क्षेत्र कम करनेपर जो शेष रहे उसे बांसठसे गणित कर दोसो मारहका भाग देनेपर जो लम्ध आवे उतनी विदेहक्षेत्रको लम्बाई है ।।२७११।। सग-बड-वो-म-गव-पण, भागा वो-गुणिव-गडदि बोहत । पुबषर • विहागं, सामीचे भहसाल - वर्ग ॥२७१२॥ ५६०२४७ । । १.द. सो।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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