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________________ ७१८ तिलीयपम्पत्ती [ गाया : २९८१-२९८३ ध्यम लम्बा अंबर-माटु-गया-व-पंच य अंक - कमेण मंसा य । विनिय सीबी दोग, भीग मझिाल • रोहतं ॥२६८१॥ ५२६६८० । । पर्य :- द्रहवती मौर ऊमिमामिनी विभंग नदियोंकी मध्यम लम्बाई शून्य, भाउ, नो, आठ, दो और पाप इस अंक कमसे जो संख्या उत्पन्न हो उससे एकसौ साठ भाग अधिक (५२८१८. यो.) है ।।२६८१॥ ५२८.६१+११९१४५२८१० योजन । दोनों नदियोंको मन्तिम और दो देशोंकी आदिम लम्बाईलं-म-गि-गव-पग-पण बोलि नहि पत्तेपर। महकच्छ - सुबग्गाए, अंतं प्राविल्स • बोहतं ॥२६८२॥ ५२६१००। प:- दोनों विभंगा नदियोंको अन्तिम तयाः महाकल्ला मोर सुवल्गु ( सुगन्धा ) नामक धोनों देशों में से प्रत्येक देवकी बादिम समाई शून्य, शून्य, एक, नो, यो पोर पांच इस क्रमसे जो संख्या उसन्न हो उसने (५२६१००) योजन प्रमाण है ॥२२॥ ५२८६०+१९०५२९१०० योजन । दोनों देशोंकी मध्यम लम्बाईघर-पटु-छकक-तिय-तिय-पख पंक-कमेण गोयनागि पर्व । महरुन्छ - सुवाए, वोही मग्झिम - पएसे ।।२६८३॥ ५३३६८४ । अर्थ :--महाकक्ष्या और सुवल्गु (सुगन्धा) देशोंकी मध्यम लम्बाई चार, आठ, छह, तीन, तीन और पांच इस अंक कमसे जो संख्या निर्मित हो उतने (५३३५८योजन प्रमाण है ॥२६८३॥ ५२६१..+४५८४-५३३६४ योजन ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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