SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 743
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ xn ... REAT THE YE ७१६ ] तिलोषपणती [गाषा : २५७५-२१७७ :-शून्य, सात, पाय, नो, पाच, सात और तूम्य, इस अंक क्रमसे उत्पन्न हुई संख्या और दोसो माग बधिक वर्षात ५०१५७०११ योजन कछार एवं मन्त्रमालिनी देसको परिदिपमे बादिम सम्माई है ॥२६७४।। चर-पंच-एक-पर-गि पंचय मंसा तहेय परोक्कं । पुब्बाबर - मेहगं, पुवावर - विजय - माझ • बोहत ॥२६७५।। ५१४१५४ 11 म:--पूर्व दिशागत ( विजय ) मेदसे सम्बन्धित पूर्ण विशागत कन्या पोर पश्चिम दिशागत (अपल) मेरसे सम्बन्धित पश्चिम दिशागत गन्धमालिनी देशों से प्रत्येक देशको मध्यम लम्बाई ५१४१५४९९१ योजन-प्रमाण है ॥२७॥ ५०९५७०५:: + ४५८४५१४१५ पोजन है। कच्छादि देशोंकी मन्तिम पौर दो वजारोंको मादिन लम्बाईभर-तिय-सग-मर-गि-पण दु-सब-कला कम्य-गंधमालिभिए । अंतहो बालारप, गिरीग माविल्ल बीहत ॥२६७६।। ११८७३ II में :--पाठ, तीन, सात, आठ, एक और पाच, इस अंक कमसे उत्पन्न हुई संम्या प्रमाण योषन और दोसौ भाग अधिक कला एवं गन्धमालिनीको अन्तिम तमा (चित्रकूट और सुरमाल इन) दो पक्षार पर्वतोंकी वादिम लम्बाई ( ५१८७१८३:१ यो.)है ॥२३७६॥ ५१४१५४११३+४५८४= ५१५४३८. योजन । दोनों वक्षारोंको मध्यम लम्बाईछक्केवक बोरिण गव इगि-पण भाग-अश्वास-पित-रम्मि । सह रेव - पञ्चम्मि य, पोषक माझ • वोहतं ॥२६७७॥ ५५९२१६ । । पर्व:-चित्रकूट और देव ( सुर ) मास पर्वतों में प्रत्येक पर्वतको मध्यम लम्बाई बहन एक, दो. नी, एक और पांच, इस अंक क्रमसे उत्पन्न संख्या प्रमाण और पड़तालीस भाग प्रधिक {५१९२१६३४ पोजन है।।२६७७।। ५१८७३ +४७७११९२१६ योजन ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy