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________________ ___ पापा : २६२५-२६२८ ] उत्यो महाहियारों । ७०३ प्र:-जम्बूदीपमें कहे हुए मेरुपर्वतके सइन इन मेरूमों के भी पाण्डुक, सौमनस, नन्दन और भतशाल नामक चार वन है ॥२६२४॥ Relator - श्रव ण जोयगे हेवा । अडवोस - सहस्सामि, सोमरस गाम वनमत्पं ॥२६२५॥ माया गया था, तो २८००० । अर्थ :-यही विशेषता यह है कि पाण्डुकवनसे पटाईम हजार ( २८००० } योजन प्रमाण नीचे जाकर सौमनस नामक वन स्थित है ॥२२॥ सोमणसावो हेतु', पणवण-सहस्स - पण - सयाणि पि । गंतूण जोयगाई, होवि वरणं गंवणं एवं ॥२६२६।। ५५५०० । अभं : - इसी प्रकार सौमनसक्नके नीचे पथपन हजार पाँचसो ( ५५५०० ) योजन प्रमाण जानेपर नन्दन-वन है ॥२६२६।। पंच - सय - जोपरणारिण, गंपूर्ण चंदणाओ हेम्मि । पाइसंडे बोबे होवि परणं महसालं ति ॥२६२७।। ५०० । म:-धातकीखण्डद्वीपमें नन्दनयनसे पांचसो ( ५०० ) योजन प्रमाण नीचे जानेपर भवशालवन है ।।२६२७॥ एवं जोषण - लासं, सत्त-सहालागि अवसयामिपि। उणसीदी परोपक, पुम्बापर - बोहमेवानं ॥२॥२६॥ १०७८७१। म:-इनमें से प्रत्येक मशालबनको पूर्वापर लम्बाई एक लाख सात हजार पाठसौ उन्यासी ( १.७७९योजन प्रमाण है ॥२६२८॥ १. ब... क.क. द. न. बरणमेस ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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