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गाया । २५६७-२५७१ ]
* घातकीखण्ड
धावदसंडो दोवो, परिवेढदि' लवणजलनिहि सयलं । जोयणाई, विस्थिनो weeवालेणं ।। २५६७ ।।
चल
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द्वीप चार लाख (४००००० ) योजन प्रमाण विस्तार युक्त है ।। २५६७ ॥
सोलह अन्तराधिकारों के नाम
जगदी विज्ञासाई, भरहखियो तम्मि कालमेवं च । हिमगिरि हेमबदा महमिवं हरिवरिस जिसही ।। २५६८ ॥
त्यो महाहियारो
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४००००० |
विजयो विबेहणामी, गोलगिरी रम्मपरिस- हम्मिगिरी | हेरन्यवदो बिजओ, सिहरी एरावदो सि वरिसोय ।। २५६६॥ एवं सोलस एहि ताण
पूर्ण वेष्टित करता है । मण्डलाकार स्थित यह
मेदा, बावइसंबस्स अंतरहिमारा | वोच्छामो
सरुगं,
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अयं जगती, विन्यास, भरतक्षेत्र, उसमें कालभेद, हिमवान् पर्वत, हैमवत क्षेत्र, महाहिमवान् पर्वत, हरिवर्षक्षेत्र, निषषपवंत, विदेहक्षेत्र, नीलपर्यंत, रम्यकक्षेत्र, रुक्मिपर्वत हैरण्यवतक्षेत्र, खरीपर्यंत ऐरावतक्षेत्र, इसप्रकार धातकीखण्डद्वीप के वर्णनमें ये सोलह भेदरूप अन्तराधिकार हैं। अब अनुक्रमसे इनके स्वरूपका कथन करते हैं ।। २५६८- २५७० ।।
प्रातकीखण्ड डीएकी जगती
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तद्दीवं परिवेणि समंतयो बिव्ब रयणमय जगवी । जंबीय पवष्वि जगए सरिस
जगवी समत्ता
आणुपुवदोए ।। २५७० ॥
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वणमया ॥२५७१ ।।
...... परिवेदि २. द. म. क.अ. उ. एन्. . . . य. उ. दीव |