SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 711
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६८४ ] तिलोयपगणती [ गापा ! २५६५-२५६६ म:-शून्य, छह, सात, सोन, पांच,सोन, दो, चार, छहसात, नौ और एक इस अंकक्रमसे जो संख्या निर्मित हो उतने ( १९७६४२३४३७६० ) मोजन प्रमाण जम्बूद्वीप एवं लवणसमुदका सम्मिलित क्षेत्रफल है ।।२५६४॥ विशेषार्ष:-इसी अधिकारमें गाथा ५६ से १६ पर्यन्त जम्बूद्वीपका जो क्षेत्रफल कहा गया है उसमेंसे मात्र ७६०५६१४१५० यो हिसकर उसमें सागरी पुन्हा सामान मिला ने दोनोंके सम्मिलित क्षेत्रफलका प्रमाण ( ७६.५६६४१५०+१८९७१६६५६६१०) - १९७६४२३५३७६० योजन प्राप्त होता है। जम्बूद्वीप प्रमाण खण्डोंके निकालनेका विधानमाहिर • सई • वग्गो, आभंतर - सूप-बाग-परिहोलो । लक्सस्स 'कोहि हिवो, अंगोब - पमाणया संग ॥२५६५॥ पं:-बाह्य सूचौके वर्ग से अभ्यन्तर सूचीके बर्गको कम करनेपर जो शेष रहे, उसमें एफ लाखके वर्गका भाग देनेपर लग्ध संख्याप्रमाण जम्बूदोपके समान सण होते हैं ॥२५५६।। लवणसमुद्रके अम्बूद्वीप प्रमाण खण्डोंका निरूपण'बउवोस जलहि • खंग, जदूरीष - पमाणको होति । एवं लवनसमुदो, वास • समासेग मिनिट्ठो ।।२५६६॥ एवं लवणसमुहं गवं ॥३॥ म: जम्बूद्वीपके प्रमाण लवरासमुद्रके चोयीस बम होते हैं। इसप्रकार संक्षेपमें लवणसमुहका विस्तार यहाँ बतलाया गया है ।।२५६६।। विरोवा:-सवरणसमुद्रको बाह्यसूची ५ लाख योजन मौर अभ्यन्तर सूची १ लाख योजन है। गापा २५१५ के नियमानुसार उसके जम्बूढावधमाण खण्ड इस प्रकार होंगे{ १००.००-१००००.२) १००.००'२४ खण्ड । अर्थात् लवणसमुद्रके जम्बूद्वीप सदृश २२ टुकड़े हो सकते हैं। इसप्रकार लवणसमुद्रका वर्णन समाप्त हुमा ॥३॥ १. द.म.स. . प. उ. दिम्हि ।
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy