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________________ गया : २५६२-२५६४ ] महाहिया से गुणिडून बसेहि तबो इच्छिय वलया होदि करनि-फलं । 7 नं ताण बरमूलं सुटुमफलं तं चि णावव्वं ।। २५६२ ।। :- दुगुनी सूची मेंसे इच्छित गोलक्षेत्रोंके दुगुने विस्तारको घटाकर जो शेष रहे उसके वर्गको अर्ध-विस्तार के वर्गसे गुणा करके उसे पुनः इससे गुणा करनेपर जो राशि प्राप्त हो वह इ गोलक्षेत्रका वर्गफस प्राप्त होता है मीर उस वर्ग - राशिका वर्गमूल निकालनेपर जो लब्ध प्राप्त हो सरप्रमाण इच्छित वलयाकार क्षेत्रका सूक्ष्म-क्षेत्रफल जानना चाहिए ।।२४६१-२५६२ ।। कार्यक:-भावाने श्री त्रफलका प्रेमास यवक-छ-णव-पंच-छ-छ-तिय-सस- नवय अट्टक्का । जोयनया क कमे, बेचफलं लवणजलहिस्स ।। २५६३ ।। · - [ ६८३ १८६७३६६५१६१०१ 1 अर्थ :- सून्य, एक, छह, नो, पाँच, यह छह, तीन, सात, नो, आठ और एक इस अंकक्रमसे जो (१८६७३६६५९६१०) संख्या निर्मित हो उतने योजन प्रमाण वरणसमुद्रका सूक्ष्मक्षेत्रफल है ।। २५६३॥ विशेषार्थ :- लवण समुहकी माह्य सूखी ५ लाख योजन भर व्यास २ साख योजन है. श्रतः उपयुक्त नियमानुसार उसका सूक्ष्म क्षेत्रफल इसप्रकार होगा [VI { Loooo* x २ ) - ( २०००००x२ ) | × (199094 } 1 x १०= १८६७३६६५६१० योजन सूक्ष्मक्षेत्रफल प्राप्त हुआ तथा १५४५ योजन अवशेष रहे जो छोड़ दिए गए हैं। जम्बूद्वीप एवं लवणसमुद्रके सम्मिलित क्षेत्रफलका प्रमाण ---पण-सि-दु-उ- अस्सल- नवय-एक्काई । खेत्तफलं मिलिवाणं, जंबूदोवस्स लवणजल हिस्स ।। २५६४।। १६७६४२३५३७६० २. प. उ. परंतप । २.व.उ. १०६७३१६५६१०
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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