________________
तिलोयपहातो
[ गाचा : २४६३-२४६७ प्र:-उन पर्वतोंके ऊपर क्रमशः शिव और पिवदेव नामक देव निवास करते हैं । इनकी मायु-आदि कौस्तुभदेवके सदृश है ।।२४६२।।
वडवामुह • पुष्वाए, विसाए संक्ष ति पव्वदो होवि ।
पच्छिमए 'महसंखो, 'विसाए से संख- सम - वण्णा ।।२४६३।।
प्रम:-वड़वामुख पातालको पूर्व-दिसामें शङ्ख और पश्चिम-दिशामें महापाल नामक पर्वत हैं। ये दोनों ही पर्वत श सदृश वर्णवाले हैं ।।२४४३॥
उदगो उदगाभासो, कमसो उरिम्मि ताण चेट्टति ।
देवा आउ • पहुविस, सवगावल • देव - सारिग्छा ॥२४६४॥
म :-इन पर्वतोंपर क्रमशः उदक और उदकाभास नानक देव स्थित है। ये दोनों देव आयु-आदिमें उदक-पर्वतपर स्पिस देव सहस है 11२४६४।। afणामा होवि गिरी, बावलण-मामाम्म कसरिणो ।
रकबातो उत्तरए, भाए वेरलिप - मणिमया दोणि ॥२५६५॥
वर्ष :-यूपकेशरीके दक्षिण-मागमें दक नामक पर्यत पोर उसर भागमें दकयास नामक पर्वत स्थित हैं । ये दोनों ही पर्वत बसूर्यमणिमय हैं ।।२४६५॥
उपरिम्मि ताण कमसो, लोहिर-णामो य लोहियकक्लो ।
उदय - गिरिस्स सरिया, भाउ - प्पहरीस होलि सुरा ।।२४६६॥
मर्ष :--उन पर्वतोपर क्रमशः लोहित और लोहिता नामक देव निवास करते हैं। ये देव मायु-मादिमें उदक पर्वत पर रहनेषाले देव सहा ॥२४६५।।
एखाणं देवाण, गयरोमो प्रबर . अंबदीपम्मि ।
होति' निय-णिय-दिसाए, अपराजिव-रणयर-मारिच्छा ।।२veum
मर्ष :-इन देवोंको मगरियो अपर जम्बूद्वीपमें अपनी-अपनी दिशामें अपराजित नगरके सहम है ।।२४६७॥
१.व.ज.म. महालि, क. महसले । २... स. दिसु एसे। ३.५.क.ब... उ. सिय।