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पापा : २४४८ ]
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नोट :-इन पातालोंकी स्थिति समुद्र में नीचेकी पोर इस प्रकार की है। उनके स्वरूप और उनको प्रस्थितिसे अवगत करानेके लिए चिकमें उन्हें इसप्रकार दिखाया गया है ।
ज्येष्ठ और मध्यम पातालोंका अन्तराल प्राप्त करने को विधिजेवाणं मुह-क, जलपिहिमग्मिल्ल-परिहि-मरझम्मि । सोहिय • चन - पविहत, हवि एक्ककक - विच्चालं ॥२४४६॥
:-लवणसमुद्रको मध्यम परिधिमेंसे ज्येष्ठ पातालोंका मुखव्यास ( १०००.४४= ४०००० यो.) और मध्यम पातालोंका मुख-व्यास (१०.०x४००० यो०) घटाकर शेष में चारका भाग देनेपर जो-जो लब्ध प्राप्त हो वही एक-एक पातालके अन्तरालका प्रमाण है ॥२४४६।।