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गाथा : २४४४-२४५
घजस्पो महाहियारो
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, उत्कृष्ट पाताल
चित्रा प्रथिवी १०.पो.--
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जल
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पवन भण .
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परनभण ।
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१००० मो. PRIHIT /मीसमाक बिल का उपरिम भग।
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अब्बहल
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मध्यम-नातालोंका निरूपणअट्ठार्ग विस्थाले, विविसासु मधिभमा दु पादाला । ता सं . पाहुवि, उपिकट्ठाण वसंसेगं ॥२४४४॥
१००० । १०००। १००००।१०००० १५० । मर्ष :-इन ज्येष्ठ पातातोंके बीच विदिशामोंमें मध्यम पाताल स्थित है मोर उनका विस्तारादिक उत्कृष्ट पातालोंकी अपेक्षा दसवें भाग प्रमाण है । २४४४।।
विचार:-मध्यम पातालोंका मूल विस्तार .... पोजन मुख विस्तार १००० योजन, ऊँचाई १०००० योजन, मध्य विस्तार १०००० योजन और इनकी बधामय भित्तियोंको मोटाई ५० योजन प्रमाण है।
गवगडदि-सहल्साणि, पंच-सया जोयपापि तु - तडेस। पुह पुह पबिसिय सलिले, पायाला मम्भिमा होति ।।२४४५।।