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तिलोयपणासी गापा : २४४२-२४४३ :- दोनों किनारोंसे लवणसमुसके जल में पंचानब हमार { ९५००० ) योजन प्रमाए प्रवेश करनेपर पृषक पृथक ये चार पाताल स्थित हैं ।।२४४६।।
पुह - पुह मूलम्मि मुहे. पिरमारो जोयणा वस-सहस्सा । उदनो वि एक - लपलं, मझिम • ६ वि सम्मेतं ।।२।४२।।
००००००००1१स।
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प:-( इन ) पातालोंका पृषक-पृथक् मूल विस्तार दस-हजार ( १०...) योजन, मुख विस्तार दस हजार १०००.) योजन, ऊंचाई एक लाख योजन और मध्यम विस्तार भी एक लाख योबन प्रभारण हो है २४४२।।
जेडा ते संसगा, सीमंत - बिलस्स उरिमे भागे । पण - सय - सोयण - बहला, करना एगण बजमया ।।२४४३॥
:-वे ज्येष्ठ पाताल सीमन्त बिलके उपरिम भागसे संलग्न हैं। इनकी वजमय मित्तियां पारसौ (५०. ) योजन प्रमाण मोटी हैं ॥२४४३||
विशेषार्थ :-रत्नप्रभा नामकी अपम पृथिवी एक लाख अस्सी हजार { १८०००) योजन मोटी है। इसके सर, पौर प्रमहल नाम वाले सोन भाग है जो क्रमशः १६...,८४००० और ..... योजन बाहल्यवाले हैं । लवणसमुद्रकी मध्यम-परिभिपर जो चार ज्येष्ठ पाताल है मन्महुल भागपर स्थित सीमन्तक बिलके उपरिम मापसे संलग्न हैं और इनसे चित्रा पृथिवी पर्यन्तनी ऊँचाई ( पंकभाग ५४००० यो+सरभाग १६००० यो ) एक साथ योजन है। इसीलिए ज्मेष्ठ पातालोंकी ऊंचाई एक-एक लाख योजन कही गई है। इन पातालोंकी वषमय भितिया ५००-५०० योजन मोटो है।
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