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गाषा : २४३८-२४४१ ]
महाहियारो
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- दोनों तटोंसे जलके मध्य में पंचानबे हजार ६५००० ) योजन-प्रमाण प्रवेश करनेपर सातसौ योजन ऊंचाई प्राप्त होती है । इसी प्रकार भंगुलादिकों को शोध लेना चाहिए ।। २४३७ ।। विशेषार्थ -दोनों तटोंसे जल के मध्य १५००० योजन प्रवेश करनेपर वहां जलकी ऊँचाई ७०० योजन प्राप्त होती है। सब एक योजन प्रवेश करनेपर कितनी ऊंचाई प्राप्त होगी ? इस प्रकार राशिक करने पर योजन अर्थात् ५८ धनुष, १ रिक्कू. १ हाथ १ वितस्ति १ पाव, अंगुल और ७ जो प्रमाण ऊंचाई प्राप्त होगी ।
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लवणसमुद्र में पातालों का निरूपण
लवगोवहि-बहु-मक्भे, पादाला ते समलबो होंति ।
अट्ठत्तरं सहस्सं, जेट्ठा मज्झा जहरलाय ॥२४३६॥
१००८ ।
:- गोदधिके बहु-मध्य भागमें चारों और उत्कृष्ट, मध्यम और जधन्य एक हजार महप) काराकी
बता पायाला, बेट्टा मज्भिल्लभा वि चतारो । होवि जहण सहस्से से सच्चे रंजणायारा ||२४३६||
४ । ४ । १०००
प :- पाताल चार, मध्यम चार और जगन्य एक हजार ( १००० ) हैं । ये सब पाताल राञ्जन अर्थात् धड़के आकार सहा है ।। २४३६ ।।
ज्येष्ठ पातालोंका निरूपण --
feng पायाला, पुग्वादि विसासु बलहि-मम्भम्मि । पायाल कदंबक्खा, वडवामुह ओषकेसरिणो ।। २४४० ॥
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प :- पूर्वादिक दिशाओं में समुद्रके मध्य में (१) पाताल, (२) कदम्बक, (३) बड़वामुख
और (४) यूपकेशरी नामक चार उत्कृष्ट पाताल हैं ।। २४४० ।।
पुहपुर -सहतो पविसिय पणणउदि जोयन सहस्ता । लवणजले जेट्ठा चेट्ठति
चचारो,
६५००० । ६५००० ।
पायाला ||२४४१ ।।
१. . . . म.उ. वा या य । १.ब.क. ज. प. उ.