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________________ १३८ ] तिलोयपणती [ गापा : २४०५-२४०७ हरिवर्ष क्षेत्रका सूक्ष्म-क्षेत्रफल-- पकं छापण-यव-तिय, अन्य-इगि-सबकं कमेण भागा य । बाहतरि-बोगिय-सया, हरि-बरिस - शिविम्मि सफल ।।२४०५॥ ६१६६३६४६६ | २४२॥ धर्म:-छह अह. पाच, नो, तीन, छह, यह एक और छह इस अंक क्रमसे जो संख्या निर्मित हो उतने योजन और एक योजनके तीन सौ इकसठ भागों से दो सौ बहत्तर भाग ( ६१६६३६५६६३ यो० ) प्रमाण त्रिवर्षक्षेत्रका सूक्ष्म क्षेत्रफल है ॥२४॥५॥ निषषपर्वतका सूक्ष्म-क्षेत्रफलतिय-एकंबर-गव-ग-गव-ब-गि-पंच-एक-सा य । तिमि • सय - बारसाई, क्षेतफल णिसह - सेलस्म ॥२४०६॥ १५१४६२६० ११ १३१२/ प्र :-तीन, एक, शून्य, नौ, दो, नौ, धार, एफ, पांच और एक इस अंक कमसे जो संख्या मिमित हो उतने योजन मोर एक योजनके सीनसौ इकसठ भागोंमेंसे तीन सौ मारह भाग (१५१४१२६०१३ यो०) प्रमाण निषध-पर्वतका सूक्ष्म-क्षेत्रफल है ॥२४०६।। विदेहक्षेत्रका सूक्ष्म-क्षेत्रफल--- तु-ब-णव-रणव-पउ-तिय-पव-छन्णम युग-जोयणेकक-पत्तोए । भागा तिम्णि सया इगि छत्तिय-हरिया विरह - खेतफल ।।२४.७॥ २६६९३४६६०२ १३६६ धर्म:-दो, शून्य, नौ, मो, चार, तीन, नो, सह, नो और दो इस अंक क्रमको एक पंक्तिमें रमनेसे जो संख्या निर्मित हो उतने योजन मोर सोनसो इकसठसे भाजित तीनसो भाग (२९६६३४६३०२ यो ) प्रमाण विदेहका क्षेत्रफल है ॥२४०७॥
SR No.090505
Book TitleTiloypannatti Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorChetanprakash Patni
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year
Total Pages866
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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